मनोरंजक ‘संडे’

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निर्माता : कुमार मंगत - सुनील लुल्ला
निर्देशक : रोहित शेट्टी
संगीत : संदीप चौटा, सुरूर, दलेर मेहंदी, शिबानी कश्यप, राघव, अमर मोहिले
कलाकार : अजय देवगन, आयशा टाकिया, अरशद वारसी, इरफान खान, अंजना सुखानी, तुषार कपूर (विशेष भूमिका), ईशा देओल (विशेष भूमिका)

विजय आनंद की ‘तीसरी मंजिल’ और ‘ज्वेल थीफ’ कई फिल्मकारों की प्रेरणा रही है। इन दो क्लासिक फिल्मों से प्रभावित होकर कई युवा निर्देशकों ने फिल्में बनाई हैं। निर्देशक रोहित शेट्टी भी ‘तीसरी मंजिल’ के प्रशंसक हैं और इसका असर उनकी फिल्म पर दिखाई देता है। हालाँकि फिल्म ‘संडे’ की प्रेरणा तेलुगु फिल्म ‘अनुकोकुंडा ओका रोजू’ (2005) से ली गई है।

एक हत्या और उसके बाद कातिल को पकड़ने की उलझी हुई गुत्थी को किस तरह सुलझाया जाता है यह फिल्म में रोचक और स्टाइलिश तरीके से दिखाया गया है। कई किरदारों पर सूई की नोक घूमती है और दर्शक लगातार अपने हिसाब से अनुमान लगाने की कोशिश करता रहता है।

रोहित शेट्टी का कहानी कहने का तरीका उनकी पिछली दो फिल्मों (ज़मीन, गोलमाल) के मुकाबले बेहतर है। उन्होंने हास्य और रहस्य के बीच उम्दा संतुलन बनाए रखा जिससे फिल्म आम जनता को ज्यादा पसंद आएगी।

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सेहर (आयशा टाकिया) की जिंदगी से एक संडे मिसिंग है और इसी के आधार पर सस्पेंस का ताना-बाना बुना गया है। इस कहानी में बल्लू (अरशद वारसी), टैक्सी ड्राइवर और उसका दोस्त कुमार (इरफान खान), रितु (अंजना सुखानी) के चरित्र भी शामिल रहते हैं और एसीपी राजवीर (अजय देवगन) इस रहस्य को सुलझाता है।

फिल्म में हास्य और सस्पेंस साथ चलते हैं, लेकिन दोनों के बीच बढि़या संतुलन है जिससे एक पल में हँसता हुआ दर्शक दूसरे पल गंभीर हो जाता है। रोहित का उद्देश्य स्पष्ट है- मनोरंजक फिल्म बनाना।

कहानी कोई नई नहीं है, लेकिन पटकथा (के. सुभाष, रॉबिन भट्ट और तुषार हीरानंदानी) पहले घंटे में बाँधकर रखती है। मध्यांतर के बाद ‍सारी चीजें धीमी होने लगती हैं। कारण? लंबे कार चेज़ सीन और और ‘प्यार तो होना ही है’ जैसे गाने गति में रुकावट डालते हैं। फिल्म का अंत चौंकाता नहीं है जिससे अंत कमजोर लगता है।

पटकथा लेखकों ने फिल्म के दूसरे हिस्से पर कम मेहनत की है, जबकि यही फिल्म का प्रमुख भाग है। रोहित शेट्टी ने उनकी कमजोरी को सफाई से छुपाने की कोशिश की है।

फिल्म में कई संगीतकारों ने संगीत दिया है, इसलिए कई प्रकार की धुन सुनने को मिलती हैं। ईशा देओल पर फिल्माया गीत ‘कशमकश’ उम्दा है। ईशा ने इस पर बेहतरीन नृत्य किया है। तुषार कपूर पर फिल्माए गए गीत की कोरियोग्राफी देखने लायक है।

जयसिंह के स्टंट स्टाइलिश हैं। असीम बजाज की सिनेमाटोग्राफी ऊँचे दर्जे की है। असीम लगातार अच्छा काम कर रहे हैं। साजिद-फरहद के संवाद फिल्म के मूड के अनुरूप हैं। ईशा देओल पर फिल्माए गए गीत का सेट बढि़या है।

सभी कलाकारों का अभिनय उम्दा है। अजय देवगन ने दिखाया है कि वे कॉमेडी भी अच्छी तरह कर सकते हैं। इस फिल्म को देखने के बाद उनके प्रशंसकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।

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हमेशा की तरह अरशद वारसी फॉर्म में हैं। उन्हें देखना आनंददायक है। इरफान खान सरप्राइज देते हैं। आयशा टाकिया को देख लगता ही नहीं कि वे अभिनय कर रही हैं। मुकेश तिवारी, मुरली शर्मा, व्रजेश हीरजी और अली असगर ने भी अपना-अपना काम ठीक से किया है।

कुल मिलाकर ‘संडे’ एक मनोरंजक फिल्म है और इसमें ऐसे तत्व हैं जो दर्शकों को पसंद आएँगे।