बुद्ध के अमृत वचन
कुमार कश्यप ने सयाने होकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। उन्हें अर्हत्व मिल गया। उनकी मां ने उन्हें 12 बरस से नहीं देखा था। एक दिन भिक्षा के लिए वे उसके पास पहुंच गए। मां भी दीक्षा ले चुकी थीं, फिर भी उनके स्तनों से दूध की धारा बह उठी। उसने कश्यप को पकड़ लिया।
मां को बोध हुआ। मोह छूटा। वे अर्हत्व पा गईं।
एक दिन प्रसंग उठने पर उनका उदाहरण देते हुए भगवान बुद्ध ने कहा-