सावधान! आयकर रिटर्न संशोधन पर मिल सकता है नोटिस...

सोमवार, 30 जनवरी 2017 (12:11 IST)
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अब करदाताओं को चेतावनी दी है कि यदि वे आयकर रिटर्न में संशोधन करते हैं तो पहले घोषित आय की प्रकृति या मात्रा में बहुत अधिक परिवर्तन नहीं होना चाहिए। यदि बहुत ज्यादा परिवर्तन हुआ तो आयकर विभाग से आपको नोटिस मिल सकता है। 
विशेषज्ञों के मुताबिक वेतनभोगी करदाताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आयकर रिटर्न में उनके द्वारा किए जाने वाले संशोधन मामूली होते हैं। ऐसा माना जा सकता है कि बचत खाते में जमा रकम पर मिले ब्याज जैसी कर मुक्त आय अथवा म्युचुअल फंड में अपना निवेश भुनाने पर मिली रकम का उल्लेख पहले रिटर्न में नहीं किया गया होगा।
 
इन्हें हो सकती है दिक्कत : बताया जाता है कि दिक्कत कारोबारियों को हो सकती है। यदि वे अपने पास रखी नकदी की मात्रा बदल रहे हैं या बिक्री और मुनाफे के आंकड़ों में तब्दीली कर रहे हैं तो उन्हें सतर्क रहना होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि व्यक्ति अपनी आय में संशोधन करता है तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके पास इसका पुख्ता सबूत हो। मान लीजिए कि यदि व्यवसाय का मालिक अधिक बिक्री दिखाता है तो उसके पास बिक्री के एवज में चुकाए गए बिक्री कर, मूल्यवर्धित कर (वैट) जैसे सहायक दस्तावेज होने चाहिए।'
 
विश्लेषकों का कहना है कि यदि व्यक्ति के पास संशोधन के संबंध में कोई पुख्ता सबूत नहीं हो और बदलाव जरूरी हो तो उसके लिए बेहतर है कि वह आय घोषणा की नई योजना प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना 2016 को अपनाए। बड़ा बदलाव तब कहलाएगा, जब व्यक्ति ने पहले की तुलना में 30-40 फीसदी अधिक नकदी दिखाई हो। सीबीडीटी ने चेतावनी के मुताबिक यदि कर अधिकारी कर रिटर्न में किसी तरह की छेडछाड़ पाता है तो संबद्ध व्यक्ति को जुर्माना या सजा हो सकती है। 
 
उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सरकार उन सभी खामियों को खत्म करने की कोशिश में जुटी है, जिनके जरिये काला धन रखने वाले लोग फायदा उठाते हैं और कर देने से बच जाते हैं। रिटर्न में संशोधन आयकर अधिनियम की धारा 139 (5) के तहत किया जाता है और ऐसा तभी किया जाता है, जब रिटर्न भरते वक्त कोई बड़ी चूक हुई हो।
 
आयकर रिटर्न में संशोधन की अनुमति केवल उन लोगों के लिए ही होगी, जिन्होंने अपना रिटर्न निर्धारित तारीख तक भर दिया हो। संशोधित रिटर्न दाखिल करने के लिए समय-सीमा संबद्घ आकलन वर्ष की समाप्ति के बाद एक वर्ष तक या कर विभाग द्वारा रिटर्न के आकलन से पहले तक रहती है।

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