राष्ट्रपति मुखर्जी ने आज संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि दृष्टिहीनों के लिए विश्वकप, 2014 में भारतीय क्रिकेट टीम और रियो 2016 में भारतीय पैरालंपिक दल की सफलता दर्शाती है कि दिव्यांगजनों को समुचित अवसर दिए जाएं तो वे महान ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं।
उन्होंने कहा, मेरी सरकार दिव्यांगजनों के विकास के लिए समान अवसर देने को वचनबद्ध हैं। सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजन के लिए आरक्षण को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत करने के साथ-साथ मेरी सरकार ने बैकलॉग रिक्तियों को भरने का काम भी तेज कर दिया है। मई 2014 से अब तक पूरे देश में आयोजित 4700 विशेष सहायता शिविरों में छह लाख से अधिक दिव्यांगजन लाभान्वित हुए हैं।
मुखर्जी ने कहा कि सुगम्य भारत अभियान से दिव्यांगजनों के सार्वजनिक स्थानों पर आने-जाने में सुगमता हुई है। 'दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016' में वाणी और भाषा संबंधी अक्षमता तथा विशिष्ट शिक्षण संबंधी अशक्तता को पहली बार शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि पूरे देश के लिए एक समान संकेत भाषा का विकास किया जा रहा है। ऑटिज्म, सेरेब्रेल पाल्सी, मेंटल रिटार्डेशन तथा मल्टीपल डिसऐबिलिटी से प्रभावित दिव्यांगजनों के लिए निरामय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत एक लाख रुपए तक की स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने दिव्यांग समेत विभिन्न वर्गों के लिए कुछ लाभकारी कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि महिलाओं, दिव्यांग जन, श्रम, प्रशिक्षुओं, फैक्टरियों, बेनामी लेनदेन, आधार तथा आवासीय संपदा (रियल इस्टेट) आदि क्षेत्र से संबंधित कानूनों में कुछ ऐसे हैं, जो मेरी सरकार के पारदर्शिता तथा सामाजिक न्याय उन्मुख मार्गदर्शी दर्शन को प्रतिबंबित करते हैं। (भाषा)