आजकल युवाओं में विदेश में पढ़ाई का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। दूसरे देशों में स्टडी करना युवाओं के लिए कई दृष्टि से फायदेमंद है। इसकी समझ युवाओं को धीरे-धीरे हो रही है। एजुकेशनल कंसल्टेंट्स के अनुसार अपने देश में अच्छे कॉलेजों में मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, हॉस्पिटेलिटी के कोर्सेस पर होने वाला खर्च विदेशों में की जाने पढ़ाई के इक्विवेलेंट होता है। ऐसे में विदेश में हायर एजुकेशन लेकर स्वदेश लौटकर अच्छा पैकेज पाया जा सकता है।
विदेशों में पढ़ाई के एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। एजुकेशनल कंसल्टेंट अमन सूरी कहते हैं कि आजकल स्टूडेंट्स को कंसल्टेंसी के जरिए फॉरेन में तमाम जानकारी दी जाती है। विजा के साथ ही कॉलेज में एडमिशन तक तक का नॉलेज स्टूडेंट्स दिया जाता है ताकि वे आसानी से विदेशों में प़ढ़ाई कर सकें। अर्न करें और करें पढ़ाई स्टूडेंट्स के पसंदीदा देशों में इन कोर्सेस की सालाना फीस 5-10 लाख है, जबकि रहने और रोजमर्रा का सालाना खर्च 4-6 लाख है। पार्ट टाइम जॉब की अनुमति हो तो करीब आधा खर्च वह खुद वहन किया जा सकता है। बाकि पैसा बैंक लोन से हासिल किया जा सकता है या परिवार यह खर्च उठा लेते हैं। अमेरिका को छोड़कर बाकी सभी देशों में स्टूडेंट्स के पार्ट टाइम जॉब के लिए कई विकल्प हैं।
पीजी कोर्स का ड्यूरेशन एक से दो साल होता है और फाइनेंशियल प्लानिंग इजीली हो जाती है। आमतौर पर विदेशों में प्रति घंटे के अनुसार काम लिया जाता है। इसमें एक घंटे में इंडियन करेंसी के अनुसार 320 रुपए कमाए जा सकते हैं, अगर दिन में छह घंटे काम करें लगभग 2,000 रुपए की इन्कम हो जाती है। पाँच साल में 10 प्रतिशत का इजाफा राजधानी से विदेशों में पढ़ाई के लिए जाने वाले स्टूडेंट्स में पिछले चार साल में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। एजुकेशनल कंसल्टेंट मोहन भाया के अनुसार 10 साल पहले राजधानी में 100 में से मुश्किल से एक या दो स्टूडेंट हायर स्टडीज के लिए विदेशों की ओर रूख करते थे, लेकिन अब संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले चार साल इसका प्रतिशत बढ़कर 12 हो गया है।
ND
टॉप 5 पसंदीदा देश और विषय यूके और न्यूजीलैंड- मैनेजमेंट, हॉस्पिटेलिटी एंड टूरिज्म, लाइफसाइंस, इंजीनियरिंग, आईटी, हेल्थ,फॉर्मेसी।
इसके अलावा फ्रांस, यूरोपियन देशों, मलेशिया और दुबई में भी स्टूडेंट्स का रुझान है, जिनका नंबर स्टूडेंट्स की पसंद के मामले में इन 6 देशों के बाद आता है। कुछ बातों की जानकारी जरूरी हमारे देश में जुलाई से मार्च का एकेडेमिक सेशन होता है,जबकि विदेशों में दो बार एडमिशन प्रोसेस होता है। जनवरी व सितंबर दो इंटेक होते हैं। दोनों इंटेक के लिए स्टूडेंट्स समय रहते अप्लाई कर सकते हैं।
संबंधित देश में मेन पॉवर की जरूरत, रहने के लिए कितना खर्च, वीजा संबंधी नीतियाँ, देश की अंदरूनी नीतियाँ।
विदेशी छात्रों के लिए अलग-अलग देशों की नीतियाँ क्या है इसका अध्ययन करके पूरी जाँच-प़ड़ताल कर लें।
देश के बाद शहर का चुनाव करें, क्योंकि विकसित देशों के छोटे-छोटे शहर बेहद कम खर्चीले होते हैं।
अपनी रुचि देखें किस क्षेत्र में आप जाना चाहते हैं फिर विषय के अनुसार उस देश की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटी चुनें जो उस विषय के लिए विख्यात हो।