आईटी क्षेत्र में लौटती चमक

- अशोक सिंह

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इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर निर्माण के इच्छुक युवाओं के लिए यह बात खुशखबरी हो सकती है कि अब मंदी के बादल छँटने की स्थिति आ गई है। इस क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों में पुरानी चमक लौटती दिखाई पड़ रही है। हाल ही में आई. डी. सी. और माइक्रोसॉफ्ट द्वारा संयुक्त रूप से जारी एक अध्ययन के नतीजों के अनुसार वर्ष 2013 तक इस क्षेत्र में 7 हजार नई बिजनेस इकाइयों का सृजन होगा तथा लगभग सवा तीन लाख नए रोजगार अवसर भी पैदा होंगे।

आई. टी. और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में अग्रणी देशों की श्रेणी में शामिल भारत जैसे राष्ट्रों के लिए इस नए ट्रेंड का निस्संदेह अतिरिक्त महत्व है। अध्ययन के मुताबिक भारत का आई.टी. व्यय 1,64,300 करोड़ अथवा 37 अरब डॉलर से अधिक इस अवधि में हो जाएगा। यह वृद्धि दर लगभग 12 प्रतिशत वार्षिक है जो किसी भी पैमाने पर आकर्षक कही जा सकती है। वहीं, विश्वव्यापी परिप्रेक्ष्य में संभावना व्यक्त की गई है कि लगभग 58 लाख नए रोजगार अवसर तथा 75 हजार से अधिक बिजनेस यूनिटों का सृजन इस अवधि में होगा।

देश के युवाओं में कंप्यूटर, आई. टी. तथा आई. टी. आधारित विभिन्न सेवाओं (कॉल सेंटर, बी.पी. ओ., मेडिकल ट्रांस्क्रिप्शन, एल.पी.ओ., एकाउंटेंसी आउटसोर्सिंग) का क्रेज किसी से छिपा नहीं है। इसी आकर्षण को प्राइवेट सेक्टर के तमाम कंप्यूटर एवं सॉफ्टवेयर ट्रेनिंग संस्थान जमकर भुना रहे हैं और आई.टी. विशेषज्ञ बनाने के नाम पर मोटी फीस भी वसूल रहे हैं। हालाँकि इन संस्थानों से प्राप्त आधे-अधूरे प्रशिक्षण और अपनी मेहनत के बूते ये युवा देर-सवेर सम्मानजनक रोजगार पाने में सफल अवश्य हो जाते हैं।

तो आई.टी. क्षेत्र की मंदी से निराश युवाओं के लिए ये निष्कर्ष आशा की किरण से किसी भी हालत में कम नहीं कहे जा सकते हैं। हालाँकि मंदी के बावजूद इंजीनियरिंग कॉलेजों में सर्वाधिक स्पर्धा कंप्यूटर और आई. टी. की शाखाएँ पाने के लिए अब भी बनी हुई है। टेक्नोलॉजी के साथ डिजिटल वर्ल्ड का आकर्षण युवाओं में शायद कम नहीं हुआ था और भविष्य में इसमें और तेजी आने की संभावनाओं को भी नकारा नहीं जा सकता है।

किसी भी राष्ट्र की तरक्की में बुनियादी ढांचों के साथ-साथ आई.टी. और संचार सुविधाओं का नेटवर्क होना अत्यंत आवश्यक है। इसके लाभ को गत 20-25 वर्षों के विकास को देखते हुए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। देश में उपलब्ध इतनी बड़ी आबादी को दक्ष एवं आय सृजन मानव संसाधन में कैसे परिवर्तित किया जाए, आज के संदर्भ में सरकारी नीति निर्याताओं एवं शिक्षाविदों के सम्मुख सबसे बड़ी यह चुनौती है। इसी क्रम में आई.टी. आधारित सेवाओं का जिस द्रुत एवं विस्फोटक गति से विकास हुआ है और लाखों की संख्या में रोजगारों के अवसरों का सृजन हुआ है, वह निश्चित रूप से भारत के संदर्भ में बेमिसाल कहा जा सकता है।

देश में अंग्रेजी शिक्षा माध्यम की पष्ठभूमि के साथ आई.टी. में निपुण युवाओं की विशाल फौज का ही यह कमाल कहा जा सकता है कि इन्फोसिस, टी.सी.एस., विप्रो और सत्यम सरीखी विश्वस्तरीय कंपनियों ने देश को आईटी के क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर पहुँचाने में जबर्दस्त योगदान दिया। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है आने वाले समय में देश में 7000 से अधिक आई. टी. की नई कंपनियाँ अस्तित्व में आएंगी। जाहिर है, अन्य विकसित राष्ट्रों के अलावा विकासशील देशों से मिलने वाले इस प्रकार के काम एवं ऑर्डर बदौलत ही यह संभव हो सकता है।

इस विधा में इंजीनियरिंग की डिग्री के अलावा डिप्लोमा, एडवांस्ड डिप्लोमा तथा एम.सी.ए. सरीखे कोर्स भी बड़े पैमाने पर देश में उपलब्ध हैं। आगे बढ़ने और पहचान बनाने के लिए युवाओं को इस क्षेत्र में विभिन्न देशों में जारी कार्यकलापों से स्वंय को अपडेट रखना जरूरी है, तभी तेजी से बदल रहे इस क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी की लगाम को थामे रखा जा सकता है।

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