इतिहास यानी बीते हुए समय की लंबी दास्तान और इसी इतिहास को पूरे विश्व में विभिन्न दृष्टिकोणों के साथ बार-बार परखा जाता रहा है। उनमें से कई दृष्टिकोण ऐसे हैं जो पूर्वाग्रहों की बुनियाद पर अपनाए जाते हैं और फिर फैक्ट्स या तथ्यों को तोड़-मरोड़कर उनका ऐसा इंटरप्रेटेशन किया जाता है कि झूठ सच की शक्ल ले लेता है।
बीते हुए कल की व्याख्या में अक्सर मतभेद होते रहे हैं। इस समस्या का एकमात्र हल है आर्कियोलॉजी या पुरातत्व विज्ञान जिसका काम मौजूदा साक्ष्यों के आधार पर बीते हुए कल यानी इतिहास की सच्चाई उजागर करना है। यह सच बताने वाले लोग विशेष योग्यता हासिल होते हैं और इसमें युवाओं के लिए करियर की बहुत संभावनाएं हैं।
गौरतलब है कि ऑर्कियोलॉजी में एंथ्रोपोलॉजिकल अध्ययन किया जाता है, जिसके तहत प्राचीन मानव संस्कृति को खंगाला जाता है। ऑर्कियोलॉजिस्ट प्राचीन मानव के सांस्कृतिक आचार-व्यवहार को व्याख्यायित करता है। इसके लिए वह पुरानी सभ्यताओं द्वारा छोड़ी गई चीजों और खंडहरों, उनकी गतिविधियों, व्यवहार आदि का अध्ययन करता है।
आर्कियोलॉजी ऐतिहासिक खोज की वह शाखा है जो विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक है। इसमें प्राचीन अवशेषों से सामना पड़ता है। मसलन प्राचीन सिक्के, बर्तन, चमड़े की किताबें, भोजपत्र पर लिखित पुस्तकें, शिलालेख, मिट्टी के नीचे दफन शहरों के खंडहर या फिर पुराने किले, मंदिर, मस्जिद और हर प्रकार के प्राचीन अवशेष, वस्तुओं आदि का अध्ययन आर्कियोलॉजी के अंतर्गत किया जाता है।
ऑर्कियोलॉजिकल मान्यूमेंट्स, आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स, कॉइन, सील, बीड, लिट्र्रेचर और नेचुरल फीचर्स के संरक्षण एवं प्रबंधन का कार्य आर्कियोलॉजी के अंतर्गत आता है। आर्कियोलॉजिस्ट या पुरातत्ववेत्ता न केवल इन चीजों का ज्ञान रखता है बल्कि उनकी खोज भी करता है।
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आर्कियोलॉजिस्ट प्राचीन भौतिक अवशेषों की खोज करते हैं, उनका अध्ययन/परीक्षण करते हैं और फिर अपने तार्किक निष्कर्ष के आधार पर इतिहास की व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। इस प्रक्रिया के कारण जहाँ एक ओर दुनिया को इतिहास की सही सच्ची जानकारी प्राप्त होती है वहीं अंधविश्वास और गलतफहमियों का निपटारा भी इस प्रकार की महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों से संभव होता है।
समय-समय पर पुरातात्विक दस्तावेज और वस्तुएँ खोजी जाती रही हैं जो विगत का सही-सही लेखा-जोखा प्रस्तुत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती हैं और हमें और अधिक वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करती हैं। आर्कियोलॉजिकल साइंस हमें ऐतिहासिक अंधविश्वासों और पूर्वाग्रहों से निजात दिलाकर वास्तविक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
अगर आप इतिहास को खंगालने के शौकीन हैं और इसके जरिए कई तरह की नई चीजों का पता लगाना चाहते हैं तो आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में आपके लिए करियर की बहुत उजली संभावनाएँ हैं। आर्कियोलॉजी में करियर बनाने के लिए उन विद्यार्थियों को आगे आना चाहिए जो लुप्त समाज, सभ्यताओं, उनके इतिहास तथा अवशेषों के बारे में रुचि रखते हैं।
ऑर्कियोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको तीन वर्षीय बीए इन ऑर्कियोलॉजी डिग्री करना होगी, जिसके लिए 12वीं स्तर पर एक विषय के रूप में इतिहास की पढ़ाई जरूरी है। यदि आगे आप एमए इन ऑर्कियोलॉजी करना चाहते हैं तो इसकी न्यूनतम योग्यता बीए इन ऑर्कियोलॉजी या समकक्ष है। इस क्षेत्र में जाने के लिए कम्युनिकेशन स्किल और आईटी स्किल की भी बहुत जरूरत है।
एक करियर के रूप में ऑर्कियोलॉजी में उजली संभावनाएँ हैं। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अलावा देश-विदेश में ऐसे बहुत से पुरातत्व संबंधी संस्थान हैं जहाँ निदेशक, शोधकर्ता, सर्वेक्षक और आर्कियोलॉजिस्ट, असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट आदि पदों पर रोजगार उपलब्ध हैं। म्यूजियमों, आर्ट गैलरियों, विदेश मंत्रालय के हिस्टोरिकल डिवीजन, शिक्षा मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार, विश्वविद्यालयों आदि में भी रोजगार के अच्छे मौके मिलते हैं।
सरकारी संस्थानों और शिक्षण संस्थानों में नौकरी करने वाले पुरातत्वविदों को बहुत अच्छे वेतन पर नियुक्ति मिलती है जिनके समय और अनुभव के आधार पर प्रमोशन भी होते हैं। आर्कियोलॉजी में डिग्री लेने के बाद शोध संस्थानों, ट्रेवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री आदि जगह भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।