क्या है अमेरिका की मून लैंडिंग कन्ट्रोवर्सी, क्यों कहते हैं moon scam?
बुधवार, 23 अगस्त 2023 (00:05 IST)
भारत के इसरो ने अपने मून मिशन के तहत चंद्रायन-3 भेजा है। वैज्ञानिक उम्मीद जता रहे हैं कि 23 अगस्त की शाम को देश का चंद्रायन मिशन चांद पर लैंड करेगा और इतिहास रचेगा। रूस का लूना-25 पहले ही क्रैश हो चुका है, ऐसे में भारत के चंद्रायन पर पूरी दुनिया की नजर है। इस बीच यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका का मून मिशन एक झूठ था। दरअसल, अमेरिका के चांद पर पहुंचने वाली उपलब्धि को लेकर विवाद और सवाल भी हैं।
नासा ने 16 जुलाई 1969 को चांद पर 'अपोलो 11 मिशन शुरू किया था। इसके जरिए पहली बार चांद पर इंसानों (नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन) को भेजा गया था।
कैसे फहराया अमेरिका का ध्वज : बता दें कि नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर 20 जुलाई, 1969 को पहला कदम रखा था। यह दुनिया की ऐतिहासिक घटना में शुमार हो गई। चांद पर लैंडिंग करने के बाद अमेरिका के दोनों अतंरिक्ष यात्रियों ने वहां अमेरिका का नेशनल फ्लैग भी फहराया था। इन पर हमेशा सवाल उठते हैं कि जब चांद पर हवा नहीं है तो कैसे झंडा फरहाया जा सकता है? जबकि कुछ लोगों ने अमेरिका के मून मिशन पर यहां तक आरोप लगा दिए कि नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन चांद पर गए ही नहीं।
STORY of SCAM called Of USA and its Moon landing ..
One More Fake Created Propaganda of West..
Just like MC Gandhi was created and shown as Biggest Saviour or Hero..
No one till date has landed a human on Moon..
READ Full to know in detail..
Share max for everyone..
Moon… pic.twitter.com/nxdnTiQiTy
रूस को हराने की ट्रिक : अमेरिका के इस मिशन पर उठने वाले सवालों में एक बात यह भी कही जाती है कि अमेरिका ने चांद पर जाने की घटना को रूस को हराने के लिए प्रोजेक्ट किया था। कहा जाता है कि इस मिशन को अमेरिका ने रूस को स्पेस रिसर्च के मामले में हराने के लिए एक साजिश के तौर पर रचा था। इसके लिए अमेरिका ने इस पूरे घटनाक्रम को स्टूडियो में शूट किया था। यह भी कहा जाता है कि वीडियो को ड्रोन पर लगे कैमरे से शूट किया गया था, जिसे पायलट माइकल कोलिन ने कमांड और नेविगेट किया था।
चांद नहीं कोई तारा : अमेरिका के मिशन पर कोई एक आरोप या सवाल नहीं है। दरअसल, यह भी आरोप लगाया जाता है कि अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा चांद से जो तस्वीर ली गई थी, उसमें एक भी तारा दिखाई नहीं दे रहा है। ये कैसे संभव है कि चांद पर ली गई तस्वीर में एक भी तारा कहीं नजर नहीं आया? वहीं, तस्वीर में एक भी ब्लास्ट क्रैटर क्यों नहीं दिखाई दे रहा? चांद पर उतरने वाले 17 टन के मॉड्यूल बालू पर खड़े दिख रहे थे, लेकिन उनका वहां कोई निशान क्यों नहीं बना?
आखिर क्या है सच : नासा ने जून, 1977 को एक फैक्ट शीट जारी की थी। इसमें उन्होंने ऐसे तथ्य बताए थे, जो साबित कर सकें कि अपोलो 11 मिशन फर्जी नहीं था। उन्होंने चांद से लाए ऐसे पदार्थ भी सामने रखे, जिन्हें धरती पर पैदा नहीं किया जा सकता। उसका कहना था कि ज्यादातर ऑपरेशन लैंडिंग के दौरान चांद से हजार फीट की ऊंचाई से किए गए थे। वहां कुछ विशेष परिस्थितियां बनाई गई थी।
ऐसा क्यों नहीं हुआ : दरअसल, अमेरिका के नासा के मून मिशन पर सवाल उठाने वाले कई वीडियो और तर्क सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। जिनमें कहा जा रहा है कि जिस समय तकनीक और विज्ञान इतना समृद्ध नहीं था तो कैसे संभव है कि अमेरिका चांद पर चला गया। अगर गया था तो दोबारा अमेरिका ने चांद पर जाने की कोशिश क्यों नहीं की। कई सवाल हैं और कई आरोप। लेकिन इसका सच क्या है यह तो खुद अमेरिका और दुनिया की सबसे बडी विज्ञान ऐजेंसी नासा ही बता सकती है।
edited by navin rangiyal