प्रातःकाल स्नान के बाद मां का श्रृंगार कर विधिवत पूजन करना चाहिए। मां ललिता के साथ भगवान शिव, गौरा पार्वती, भगवान शालिग्राम और कार्तिकेय की भी इस दिन आराधना की जाती है। यह व्रत नेत्र रोग से तथा कुष्ठ रोग से मुक्ति दिलाता है।
कैसे करें पूजन-
1. मोरयाई छठ के दिन पूजन करने से पहले से भगवान शालिग्राम जी का विग्रह, कार्तिकेय का चित्र, शिव-गौरी की मूर्तियों सहित तांबे का लोटा, नारियल, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, मौसमी फल, मेवा, मौली, आसन आदि सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
3. घर के ईशान कोण में पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठकर पूजन करें।
4. ललिता षष्ठी व्रत के दिन षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करें।
5. मां ललिता के साथ स्कंदमाता और शिव जी की पूजा करें।
6. इस दिन कई जगहों पर विष्णु जी, शिव जी और गौरी पार्वती का चंदन से पूजा का भी चलन है।
8. पूजन के बाद मालपुआ, खीर एवं मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।
अंत में माता का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें।
10. मंत्र- 'ऐ ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:' का कम से कम 108 बार जाप करें।
11. अंत में ललिता माता की आरती करें। इस दिन शिव चालीसा, ललिता चालीसा का पाठ करना उचित रहेगा।
12. इस दिन 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें।
पूजन के अंत में संतान सुख की प्रार्थना करते हुए ललिता देवी को नमस्कार करें और अपनी मनोकामना कहें।