कई हजार वर्ग किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र में करीब 15 हजार मतदाता सूचीबद्ध हैं, पर औसतन 5 से 6 हजार ही वोट डालते हैं। दूसरी ओर इनकी सुरक्षा के लिए 15 हजार से ज्यादा सशस्त्र जवान तैनात किए जा चुके हैं। ये जवान जहां 20 से 30 किलोमीटर की खतरनाक डगर तय करते हैं, वहीं मतदान के इच्छुक मतदाताओं को भी कम से कम 8 से 10 किलोमीटर का सफर जान हथेली पर रखकर तय करना होता है। अबूझमाड़ में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए 2 हेलीकॉप्टर भी तैनात किए गए हैं।
अबूझमाड़ की दुर्गमता इसी से समझी जा सकती है कि यहां लोगों को पानी लाने के लिए भी नदी-नाले और पहाड़ पार करने पड़ते हैं। सघन जंगलों के कुछ हिस्सों में दोपहर की धूप भी नहीं पहुंच पाती। यहां न तो कोई हेलीकॉप्टर उतर सकता है और न ही कोई वाहन ही पहुंच सकता है। अबूझमाड़ संभाग बस्तर के नारायणपुर से लेकर बीजापुर के बीच इंद्रावती के पार उत्तर-पूर्व से उत्तर-पश्चिम दिशा तक एक लंबी पहाड़ी वाला इलाका है।
अबूझमाड़ में 236 गांव हैं, जो 39 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले हैं। इनमें 15 हजार 91 मतदाता हैं जिसमें 7 हजार 229 महिला हैं। यहां सबसे कम मतदाता ग्राम बाड़पेंदा के 72 हैं जिनके लिए मतदान दल को करीब 35 किलोमीटर पैदल जाना पड़ेगा। वहीं ग्राम कोड़े के 175 मतदाताओं के लिए मतदान दल को 52 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ेगी।
अन्य भी सभी गांवों की कमोबेश यही स्थिति है। सिर्फ 6 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां सरलता से पहुंचा जा सकता है। कई गांवों में मतदान दल नावों के सहारे पहुंचेंगे। ऐसी स्थिति में कई मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां कोई भी मतदाता ही मतदान के लिए नहीं पहुंचता।
जिला निर्वाचन अधिकारी टोपेश्वर वर्मा ने बताया कि 37 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां नक्सली दहशत के चलते निर्वाचन आयोग को स्याही नहीं लगाने का सुझाव भेजा गया है। 18 मतदान केंद्र स्थानांतरित करने का भी प्रस्ताव है। पिछले 3 चुनाव से इस विधानसभा क्षेत्र से लगातार मंत्री केदार कश्यप चुनाव जीत रहे हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के चंदन कश्यप से है। (वार्ता)