बसपा की बल्ले-बल्ले

रायपुर। सोशल इंजीनियरिंग के खेल में बसपा नेताओं की बल्ले-बल्ले हो गई है। राजनीतिक हलकों की चर्चाओं पर भरोसा करें तो कई सीटों पर कांग्रेस व भाजपा के दमदार नेताओं की पसंद पर टिकट बाँटे गए हैं। इसके चलते चार सीटों पर आज तक प्रत्याशी तय नहीं हो पाए हैं।

दुर्ग ग्रामीण व बेमेतरा विधानसभा सीट के लिए नामांकन दाखिले की प्रक्रिया सोमवार को पूरी हो जाएगी। इसके बावजूद 90 सीटों पर अपने बूते चुनाव लड़ने का दावा करने वाली बसपा ने दोनों सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। रामानुजगंज में गृहमंत्री रामविचार नेताम के खिलाफ प्रत्याशी उतारने का फैसला भी नहीं हो पाया है। यही स्थिति धर्मजयगढ़ सीट की है, जहाँ से भाजपा के मौजूदा विधायक ओमप्रकाश राठिया दोबारा मैदान पर हैं। इस सीट से पूर्व मंत्री चनेशराम राठिया कांग्रेस टिकट के दावेदार हैं। बहुजन समाज की तरफदारी करने वाली पार्टी ने अकलतरा से 'महल' के सौरभ सिंह को टिकट दिया है, जो कांग्रेसी पृष्ठभूमि के कारण जाने जाते हैं। चाँपा में कांग्रेस विधायक मोती देवांगन के खिलाफ गोविन्द अग्रवाल को कमजोर प्रत्याशी बताया जा रहा है।

वैशाली नगर में पार्टी से निष्कासित जाँ निसार अख्तर मैदान में कूद पड़े हैं। इससे पहले वे बसपा के टिकट पर तीन चुनाव लड़ चुके हैं। पार्टी ने यहाँ से सुभाष सिंह को प्रत्याशी बनाया है। इस पर अख्तर ने आरोप लगाया था कि सिंह को 25 लाख रुपए लेकर प्रत्याशी बनाया गया है। रायपुर ग्रामीण में अशोक साहू को प्रत्याशी बनाया गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश के चलते साहू को हटाने में पार्टी नेताओं को पसीना छूट रहा है।

मायावती ने निर्देश दिया है कि घोषित प्रत्याशी को उसकी मर्जी पर ही हटाया जाएगा। धरसींवा में ललित बघेल के इंकार के बाद चन्द्रशेखर साहू को प्रत्याशी बनाया गया है। उनके प्रचार का भी कहीं अता-पता नहीं है। (नईदुनिया)

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