ईसाई धर्म में मुख्यतया दो पर्व हैं क्रिसमस व ईस्टर। दोनों प्रमुख हैं ईस्टर अर्थात ख्रीस्त का जी उठना। क्रिसमस के दिन यीशु ख्रीस्त का जन्म हुआ था। ग्रुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु की मृत्यु (गुड फ्राइडे कोई पर्व नहीं, एक दुख का अवसर है) और ईस्टर के दिन प्रभु यीशु जी उठे थे।
दुनियाभर में ईसाई समुदाय के लोग प्रभु यीशु के जी उठने की याद में ईस्टर संडे मनाते हैं। यरुशलम के एक पहाड़ के ऊपर बिना किसी कारण ईसा मसीह को क्रूस (सूली) पर चढ़ाकर मार डाला गया। मगर ईसा मसीह तीसरे दिन अपनी कब्र में से जी उठे। ईसा मसीह ने जी उठने के बाद अपने चेलों के साथ 40 दिन रहकर हजारों लोगों को दर्शन दिए।
ईसा मसीह दुनिया को प्यार और सत्य बांटने के लिए वापस आए थे। ईसा मसीह ने कहा- परमपिता परमेश्वर में हम सब एक हैं, वो अपने लोगों के लिए एक राजा बनकर आए थे। जिस क्रूस पर ईसा मसीह को चढ़ाया गया, उस पर उस समय की यूनानी भाषा में लिखा था- नासरत का यीशु यहूदियों का राजा है लेकिन वे लोग अनजाने में मसीह को क्रूस पर चढ़ा रहे थे।
उस समय भी यीशु ने ये कहा, 'हे पिता परमेश्वर, इन लोगों को माफ करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।' उन्होंने हमें दूसरों को क्षमा करने का संदेश दिया उन्होंने समस्त मानव जाति के पापों का उद्धार करने के लिए उन्होंने क्रूस पर अपनी जान दी। मसीह पर विश्वास करने वालों को पापों से छुटकारा मिलता है।
* ईस्टर भाईचारे और स्नेह का प्रतीक माना जाता है।
* ईस्टर संडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में इकट्ठा होते हैं और जीवित प्रभु की आराधना (उपासना) स्तुति करते हैं।
* इस अवसर पर चर्च के धर्माध्यक्ष ईस्टर पर्व की विशेष पूजा करेंगे, चर्च में मोमबत्तियां जलाएंगे। इस दिन बाइबल पाठ किया जाता है तथा प्रभु यीशु के उपदेशों से भक्तगणों को अवगत कराया जाता है। प्रभु यीशु के पुनर्जन्म की बधाइयां देंगे।
* ईसा मसीह के जी उठने की खुशी में प्रभु भोज में भाग लेते हैं और एक-दूसरे को प्रभु यीशु के नाम पर शुभकामनाएं देते हैं।
* चर्च के फादर ईसाई समाज के लोगों के घरों में जाकर प्रभु यीशु के पवित्र जल से छिड़काव करेंगे तथा संबंधित परिवारों की सुख-शांति की कामना भी करते हैं। ईस्टर पर्व हमें शांति, सद्भाव व भाईचारे की सीख देता है।