चेन्नई में सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन साहब का प्रवचन: सूर्य, आत्मा और आपसी जुड़ाव की शक्ति पर प्रकाश

WD Feature Desk

शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 (15:35 IST)
जैसे सूर्य की रोशनी दूरियों को पार करते हुए सभी को जोड़ती है, वैसे ही इंसानियत की रोशनी भी एक-दूसरे से जोड़ने का काम करती है
 
विश्वव्यापी दाऊदी बोहरा समुदाय के धर्मगुरु सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन साहब ने आज अशरा मुबारका का आठवां प्रवचन दिया। पिछले कुछ दिनों से आकाशीय पिंडों पर केंद्रित अपने प्रवचनों की श्रृंखला में उन्होंने आज के दिन सूर्य के महत्व पर विस्तार से बात की और बताया कि कैसे यह सम्पूर्ण सृष्टि को अपनी जीवनदायी रोशनी और ऊर्जा से जोड़ता है।
 
सैयदना साहब ने समझाया कि जैसे सूर्य की रोशनी अंतरिक्ष की विशाल दूरियों को पार करते हुए सभी को जोड़ती है, वैसे ही इंसानियत की रोशनी भी भाषा, संस्कृति और भौगोलिक सीमाओं को पार कर लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करती है।

उन्होंने कहा कि हमें दीवारें नहीं, पुल बनाना चाहिए, ऐसे पुल जो व्यक्तियों के भीतर और समाज में आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाएं। सूर्य एक सार्वभौमिक जोड़ने वाला है, और उसकी ऊर्जा हमें हमारी साझी जिंदगी और एक-दूसरे पर निर्भरता का एहसास कराती है।
 
उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक विचारधारा, खासकर फातिमी दर्शन में सूर्य की तुलना धर्म के मार्गदर्शकों से की जाती है, जैसे इमाम अली, जिनके ज्ञान और समझ की रोशनी अज्ञानता के अंधेरे को दूर करती है और आध्यात्मिक जीवन में ऊर्जा भरती है।

सैयदना साहब ने इतिहास से उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे ज्ञान न केवल विश्वास को बनाए रखता है, बल्कि कठिन समय में रास्ता भी दिखाता है।
 
व्यापार और रोज़गार को लेकर भी उन्होंने समाज को प्रोत्साहित किया। इस्लाम में व्यापार को प्रोत्साहित किया गया है और दाऊदी बोहरा समुदाय की पहचान भी उद्यमशीलता और व्यापारिक कुशलता के लिए है। सैयदना साहब ने एक परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि आजीविका के लिए लंबी दूरी तय करना भी पुण्य का काम माना गया है।

उन्होंने समुदाय से आह्वान किया कि वे अपने व्यवसायों को ईमानदारी, नये विचारों, अनुसंधान और जुनून के साथ आगे बढ़ाएं और यह सुनिश्चित करें कि उनका व्यापार समाज पर सकारात्मक असर डाले।
 
सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन इन दिनों चेन्नई में अशरा मुबारका के प्रवचनों का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां करीब 43,000 दाऊदी बोहरा समुदाय के लोग एकत्रित हुए हैं। ये प्रवचन तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और कोलंबो के कुल 71 केंद्रों में सीधा प्रसारण के माध्यम से दिखाए जा रहे हैं। अनुमान है कि कुल मिलाकर लगभग 2.5 लाख लोग इन प्रवचनों से जुड़ रहे हैं।
 
अशरा मुबारका, इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम की 2 से 10 तारीख तक मनाया जाने वाला एक विशेष समय है, जिसमें पैगंबर मोहम्मद साहब, उनके नवासे इमाम हुसैन और उनके परिवार को याद किया जाता है। यह अवसर न्याय, सच्चाई और इंसानियत जैसे सार्वभौमिक मूल्यों के लिए खड़े होने की प्रेरणा देता है।

दाऊदी बोहरा समाज के लिए यह एक आध्यात्मिक और शैक्षणिक यात्रा होती है, जो आत्मविकास और जागरूकता का अवसर प्रदान करती है।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी