मौत के ये आंकड़े दुनियाभर में सरकारी एजेंसियों द्वारा बताए गए हैं, जबकि बीमारी के कारण मृतकों की असल संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि महामारी के शुरुआती दिनों में मौत होने के कई अन्य कारण भी बताए गए थे।
अमेरिका, ब्रिटेन, इज़राइल, कनाडा और जर्मनी जैसे संपन्न देशों में लाखों लोगों को सुरक्षा देने का काम शुरू किया जा चुका है। उन्हें कम से कम टीके की एक खुराक दी गई है। कई ऐसे देश हैं जहां टीका पहुंचा ही नहीं है। कई विशेषज्ञ अनुमान जता रहै हैं कि ईरान, भारत, मेक्सिको और ब्राजील में यह साल भी दुश्वारी भरा हो सकता है। दुनियाभर में कोविड-19 से मरने वालों में आधे लोग इन्हीं देशों से थे।
अमीर देशों में टीकाकरण अभियान तो चल रहा है लेकिन गरीब देशों में इस अभियान को चलाने में कई बाधाएं हैं। इनमें कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली होना, लचर परिवहन व्यवस्था, भ्रष्टाचार और टीके को फ्रीज़र में रखने के लिए बिजली का अभाव शामिल हैं।
कोविड-19 टीके की अधिकतर खुराक अमीर देशों ने खरीद ली हैं। दुनिया के विकासशील देशों में टीका पहुंचाने लिए शुरू की गई संयुक्त राष्ट्र समर्थित परियोजना कोवैक्स को टीके, धन और साजो-समान संबंधी समस्या से जूझना पड़ रहा है।