उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से हुई बहुसंख्यक गैस पीड़ितों की मौतों से यह सिद्ध होता है कि 35 साल बाद भी गैस पीड़ितों का स्वास्थ्य इसलिए नाजुक है, क्योंकि उनके स्वास्थ्य को यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैस की वजह से स्थायी क्षति पहुंची है।
वहीं गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी ने बताया कि इसलिए हम मुख्यमंत्री से यह अपील करते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय में लंबित सुधार याचिका में गैस कांड की वजह से सभी 5,21,322 गैस पीड़ितों के स्थायी तौर पर क्षतिग्रस्त होने के सही आंकड़े रखें ताकि यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल से सभी के लिए उचित मुआवजा लिया जा सके। उन्होंने कहा कि गैस पीड़ित संगठन 21 मार्च और 23 अप्रैल को केंद्र एवं राज्य सरकार को पत्र देकर बता चुके हैं कि इस संक्रमण के चलते अगर गैस पीड़ितों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो कइयों की जान जा सकती है।
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खां ने बताया कि शहर में हुई 60 मौतों पर आधारित यह विस्तृत रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बताती है कि सिर्फ 60 साल से ऊपर के गैस पीड़ित ही इसकी चपेट में नहीं आए हैं, बल्कि 38-59 वर्ष की आयु में मरने वाले व्यक्तियों में 85 प्रतिशत भोपाल के यूनियन कार्बाइड गैस कांड के पीड़ित हैं। (भाषा)