भारत बायोटेक को देश में Covid-19 Vaccine के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी मिली

शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020 (01:59 IST)
नई दिल्ली। भारत बायोटेक  (Bharat BioTech) को देश में कोविड-19 की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine Trial) के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी मिल गई है। इस मंजूरी के बाद स्वदेशी टीके के निर्माण को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। पता चला है कि कोविड वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल 10 राज्यों के 19 स्थानों पर किया जाएगा। इन स्थानों में दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और पटना शामिल हैं। 
 
कंपनी ने अपने आवेदन में कहा था कि इस अध्ययन में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 28,500 लोगों को शामिल किया जाएगा और यह परीक्षण 10 राज्यों के 19 स्थानों पर किया जाएगा. इन स्थानों में दिल्ली, मुंबई, पटना और लखनऊ शामिल हैं.
 
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नवंबर के पहले सप्ताह से भारत बायोटेक द्वारा बनाई जा रही स्वदेशी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल शुरू हो जाएंगे। देश में फिलहाल दो स्वदेशी कोविड-19 टीकों के मानव पर दूसरे चरण का परीक्षण हो रहा है। इनमें एक भारत बायोटेक द्वारा और दूसरा जायडस कैडिला (Zydus Cadilla) द्वारा विकसित है।
 
भारत बायटेक दूसरे चरण के ट्रायल्स को लगभग पूरा कर चुका है। वहीं दूसरी ओर पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) द्वारा विकसित संभावित कोविड-19 टीके का दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण देश में कर रहा है।
 
इससे पहले खबर आई थी कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विशेषज्ञ समिति ने भारत में रूसी कोविड-19 रोधी टीके स्पूतनिक-5 के दूसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण के लिए डॉ. रेड्डी लेबोरेटरीज को अनुमति देने की सिफारिश की है।
 
डॉ रेड्डी लैब ने डीसीजीआई से देश में रूसी टीके का मानव पर दूसरे और तीसरे चरण का चिकित्सकीय परीक्षण एक साथ कराने की अनुमति मांगी थी। भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी डॉ. रेड्डी लैब ने स्पूतनिक-पांच टीके का क्लीनिकल परीक्षण एवं वितरण करने के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) के साथ साझेदारी की है।
 
ऑक्सफोर्ड का कोविड-19 टीका मानदंड पर खरा : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविड-19 टीके का तीसरे चरण का परीक्षण जारी है और यह ‘प्रत्येक अपेक्षित’ मानदंड पर खरा उतर रहा है जो घातक कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक अच्छी खबर है। यह बात एक स्वतंत्र अध्ययन में कही गई है।
 
इस टीके का विकास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ब्रिटेन की दवा कंपनी ‘एस्ट्राजेनेका’ के साथ मिलकर कर रही है। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी ने टीके की सटीकता के बारे में जानने के लिए हाल में विकसित तकनीकों का इस्तेमाल किया। विशेषज्ञों ने कहा कि नया विश्लेषण इस बारे में अधिक स्पष्टता उपलब्ध कराता है कि टीका किस तरह सफलतापूर्वक एक मजबूत प्रतिरक्षा अनुक्रिया उत्पन्न करता है।
 
अध्ययन में कहा गया है कि टीका ‘प्रत्येक अपेक्षित’ मानदंड पर खरा उतर रहा है जो घातक कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक अच्छी खबर है।
 

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