इंदौर। कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी के मामले में मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट की पत्नी के कार ड्राइवर को पुलिस की क्लीन चिट जल्द ही मिल सकती है। पुलिस के एक आला अफसर का कहना है कि इस प्रकरण में उसकी आपराधिक भूमिका प्रतीत नहीं हो रही है।
इसी ट्रैवल एजेंसी का कर्मचारी अग्रवाल गिरफ्तारी से पहले जिला स्वास्थ्य अधिकारी पूर्णिमा गाडरिया की कार चला रहा था। अग्रवाल ने एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किए जाने से पहले मंगलवार को मीडिया के सामने कहा था कि जल संसाधन मंत्री सिलावट की पत्नी की कार चलाने वाले राजपूत ने उसे 14,000-14,000 रुपए की कीमत में रेमडेसिविर के दो इंजेक्शन मुहैया कराए थे।
आरोपी के इस बयान का वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर फैलने के बाद सूबे की सियासत गरमा गई। वायरल वीडियो में वह पुलिस की गाड़ी में हथकड़ी पहना बैठा दिखाई दे रहा है। पुलिस अधीक्षक (पूर्वी क्षेत्र) आशुतोष बागरी ने गुरुवार को बताया, राजपूत (मंत्री की पत्नी की कार का ड्राइवर) ने खुद पुलिस के सामने पेश होकर अपना बयान दर्ज कराया है।
पुलिस अधीक्षक के अनुसार जांच में राजपूत के बयान की तस्दीक हुई है। उन्होंने कहा, राजपूत (मंत्री की पत्नी की कार का ड्राइवर) रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले में नामजद आरोपी नहीं है। उसने अपने रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट भी पुलिस के सामने पेश की हैं।
विजय नगर थाने के प्रभारी तहजीब काजी ने बताया कि अग्रवाल को अदालत में पेश किए जाने के दौरान कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में दोनों कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कदम उठाए गए हैं। निजी ट्रैवल एजेंसी के दो ड्राइवरों के कारण सवालों का सामना करने वाले जल संसाधन मंत्री सिलावट और जिला स्वास्थ्य अधिकारी गाडरिया इनसे पल्ला झाड़ते हुए कह चुके हैं कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले लोगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है।(भाषा)