एक दूसरे टीके के लिए किए गए पिछले नैदानिक परीक्षण में भी इसी तरह के नतीजे सामने आए थे जो निष्क्रिय किए गए सार्स-कोव-2 वायरस पर ही आधारित थे, लेकिन उस शोध में केवल 60 वर्ष से कम आयु के लोगों में इस टीके का परीक्षण किया गया था।
‘द लांसेट इन्फेक्शियस डिजीज’ नामक पत्रिका में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन के अनुसार, इस शोध में 18 से 80 वर्ष की आयु के प्रतिभागी शामिल थे और पाया गया कि सभी प्राप्तकर्ताओं में एंटीबॉडी की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि 60 वर्ष और इससे अधिक आयु के प्रतिभागियों में एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया धीमी थी, जिन्हें 42 दिनों का समय लगा, जबकि 18-59 आयु वर्ग के प्रतिभागियों में एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में 28 दिन लगे। उन्होंने कहा कि 18-59 आयु वर्ग के लोगों की तुलना में 60-80 वर्ष की आयु में एंटीबॉडी का स्तर भी कम था।
बीबीआईबीपी-कोरवी में मारे गए वायरस शामिल होते हैं, जिसमें एक अन्य घटक एल्यूमीनियम हाइड्रॉक्साइड होता है, जिसे एक सहायक घटक कहा जाता है क्योंकि यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।(भाषा)