मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर पहले से अधिक खतरनाक,27 फीसदी मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर,फरवरी से अब तक 15 गुना केस बढ़े
भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है। प्रदेश में आज पहली बार 3398 केस आने के कोरोना को लेकर हालात अब चिंताजनक हो गए है। पूरे कोरोना काल में अब तक प्रदेश में 19 सितंबर 2020 को 2607 केस आए थे वहीं अब लगातार दूसरे दिन 3300 से अधिक केस सामने आए है। लगातार इतनी बड़ी संख्या में केस सामने आने के बाद अब प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं के सामने बड़ा चैलेंज पैदा हो गया है।
कोरोना के एक्टिव केस मामले में मध्यप्रदेश देश में अब सातवां नंबर का प्रदेश बन गया है। आज प्रदेश में कोरोना के एक्टिव केस 22654 है जो देश में कुल केस का 3.4 फीसदी है जो अब तक रिकॉर्ड स्तर है। प्रदेश में कोरोना पॉजिटिविटी रेट जनवरी की तुलना में अब 10 गुना बढ़ गई है। जनवरी आखिरी में प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट 1.1 फीसदी थी जो अब 11 फीसदी तक पहुंच गई है। अगर सात दिन के औसत को देखें तो प्रदेश की पॉजिटिविटी रेट 10.4 फीसदी के पास है। जब पूरे कोरोना काल में पॉजिटिविटी रेट 4.7 है।
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मो.सुलेमान के मुताबिक प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट वर्तमान में बहुत ज्यादा है। अगर प्रदेश में 14 मार्च के बाद कोरोना केस ग्रोथ रेट को देखे तो ग्राफ बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस साल फरवरी के आखिरी हफ्ते में 1781 केस थे वहीं अब 18168 केस आ रहे है,यानि फरवरी की तुलना में 15 गुना से ज्यादा केस आ रहे है।
अगर जिलों के हिसाब से कोरोना केस देखे तो पूरे प्रदेश के कुल केस में से इंदौर में 26 फीसदी केस है। वहीं भोपाल में 19 फीसदी,जबलपुर में 7 फीसदी केस,ग्वालियर में 4 फीसदी केस है। वहीं अगर भोपाल की बात करें तो राजधानी भोपाल में पिछले सात दिनों मे कोरोना पॉजिटिविटी रेट औसत 19 फीसदी और कुछ दिन में 24 फीसदी तक पहुंच हई है। वहीं रतलाम 16,खरगोन में 15 फीसदी,बड़वानी में 16 फीसदी है। अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानें तो पॉजिटिविटी रेट 5 फीसदी से नीचे होनी चाहिए।
आंकड़ें बातते हैं कि पहले जो रेश्यो 60/40 फीसदी का अस्पताल और होम आइसोलेशन का होता था वहीं अब भी चल रहा है। इसलिए यह कहना कि केस अब सीरियस नहीं होते यह कहना सैद्धांतिक सहीं नहीं है। प्रदेश में वर्तमान में 61 फीसदी मरीज होम आइसोलेशन में है वहीं अस्पतालों में भर्ती 39 फीसदी मरीजों में से 27 फीसदी मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर है। कोरोना का पॉजिटिविटी रेट पिछले बार के पीक से अब कहीं ज्यादा खतरनाक है।