एविएशन इंडस्ट्री पर टूटा कोरोना का कहर, 60% गिरी यात्रियों की संख्‍या, 17 साल पीछे

रविवार, 17 जनवरी 2021 (14:54 IST)
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के कारण उड़ानों पर लगे प्रतिबंधों की वजह से पिछले साल हवाई यात्रियों की संख्या में 60 प्रतिशत की अभूतपूर्व गिरावट देखी गई और यह घटकर वर्ष 2003 के स्तर पर आ गई।

संयुक्त राष्ट्र की इकाई अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईकाओ) ने पिछले सप्ताह ‘कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण’ जारी किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 में हवाई यात्रियों की संख्या में 60 प्रतिशत की नाटकीय गिरावट रही जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कभी नहीं देखा गया।

पिछले साल 1.8 अरब लोगों ने हवाई यात्रा की जबकि वर्ष 2019 में यह आंकड़ा 4.5 अरब रहा था। इस प्रकार हवाई यात्रियों की संख्या वर्ष 2003 के बाद के निचले स्तर पर आ गई।

आईकाओ ने कहा है कि इससे विमान सेवा कंपनियों को 370 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। साथ ही हवाई अड्डा संचालकों को 115 अरब डॉलर और एयर नेविगेशन सेवा देनी वाली एजेंसियों को 13 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घरेलू विमानन सेवाओं की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय सेवाएं महामारी से अधिक प्रभावित हुई हैं। घरेलू मार्गों पर यात्रियों की संख्या में 50 प्रतिशत और अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर 74 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

भारत के आंकड़े देखें तो वैश्विक औसत की तुलना में यहां हवाई यात्रियों की संख्या में ज्यादा बड़ी गिरावट आई है। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल घरेलू मार्गों पर छह करोड़ 30 लाख 11 हजार यात्रियों ने हवाई सफर किया जो वर्ष 2019 के मुकाबले 56.29 प्रतिशत कम है।

आईकाओ के अनुसार, पिछले साल जनवरी से ही विमानन क्षेत्र पर महामारी का असर दिखने लगा था जब उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने का क्रम शुरू हो गया था, हालाँकि उस समय ऐसा करने वाले देशों की संख्या काफी कम थी। वायरस का संक्रमण फैलने के साथ ही प्रतिबंध भी बढ़ते गए और मार्च के अंत तक उड़ानें लगभग पूरी तरह बंद हो गईं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर लॉकडाउन, सीमाबंदी और यात्रा प्रतिबंधों के कारण अप्रैल तक हवाई यात्रियों की संख्या में 92 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। घरेलू यात्रियों की संख्या 87 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या 98 प्रतिशत घट गई थी। इसके बाद धीरे-धीरे सुधार आना शुरू हुआ।

विमान सेवा कंपनियों को सबसे अधिक नुकसान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हुआ है जिसमें भारत भी शामिल है। आईकाओ का अनुमान है कि इस क्षेत्र में एयरलाइंस ने पिछले साल 120 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। यूरोप में उन्हें 100 अरब डॉलर और उत्तरी अमेरिका में 88 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। इसके बाद लातिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों में 26 अरब डॉलर, पश्चिम एशिया में 22 अरब डॉलर और अफ्रीका में 14 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है। (वार्ता)

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