2021 में कोरोना महामारी से जूझ रहे लोगों के लिए साल 2022 एक नई उम्मीद लेकर आया है। उम्मीद खतरनाक कोरोना वायरस से मुक्त होने की। कोरोना वायरस से मुक्त होने की उम्मीद कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने जगाई है। दक्षिण अफ्रीका के डरबन में अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक स्टडी के मुताबिक ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा वेरिएंट को हटा रहा है। स्टडी से पता चला है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट अन्य पिछले वैरिएंट की तुलना में बहुत कम नुकसान पहुंचाएगा और हमारे शरीर की एंटीबॉडी इसका आसानी से मुकाबला कर सकेगी।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के जूलॉजी विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट तेजी से फैलगा तो डेल्टा वैरिएंट अपने आप ही खत्म हो जाएगा। भारत में जैसे-जैसे ओमिक्रॉन वैरिएंट तेजी से फैलेगा वैसे-वैसे डेल्टा वैरिएंट के मामले भी कम होते जाएंगे। ऑमिक्रान के तुलनात्मक प्रारंभिक आंकड़ों को अगर देखे तो इसकी डेल्टा वैरिएंट से संक्रामकता ज्यादा है लेकिन गंभीरता कम देखने को मिली है।
यूरोप की तुलना मेंभारत में स्थिति क्यों अलग? में वहीं अगर हम यूरोप के देशों की बात करें तो वहां की स्थिति भारत की तुलना में बहुत अलग है। अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों में वर्तमान में लोग डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वैरिएंट से संक्रमित हो रहे है जबकि भारत में डेल्टा वैरिएंट से एक बड़ी आबादी संक्रमित हो चुकी थी। अब देखा गया था कि यूरोप के देशों में जब कोरोना के मामले बढ़ते थे और कोई लहर दिखाई देती थी तो लॉकडाउन जैसे उपायों से उसे रोक लेते थे। इससे डेल्टा ज्यादा लोगों को संक्रमित नहीं कर पाया और डेल्टा के लिए एक वैक्यूम खुला रहा है।
इस कारण ओमिक्रॉन को लेकर यूरोप और भारत की स्थिति एक जैसी नहीं है। भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट अभी कुछ जगह रन कर रहा था इसलिए भारत में कोरोना केस आ रहे थे। अब ओमिक्रॉन आने के बाद यह तेजी से उन लोगों को संक्रमित करेगा और एक समय के बाद डेल्टा को रिप्लेस कर देगा।
कम वैक्सीनेशन कमजोर कड़ी-अगर दक्षिण अफ्रीका के ओमिक्रॉन की स्थिति को देखे तो वहां 30-40 दिनों में ओमिक्रॉन पीक पर आया और नीचे उतर गया। भारत की चिंता की बात यह है कि बहुत से लोगों ने अब तक वैक्सीन नहीं ली है, ऐसे में समस्या तो होगी लेकिन उसको मैनेज किया जा सकता है और हम किसी विकट स्थिति से निकल आंएगे।
भविष्य में किसी बड़ी लहर की उम्मीद नहीं- प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि 2022 में महामारी काफी कंट्रोल में आ जाएगी जिसमें ओमिक्रॉन का एक बड़ा रोल होगा। अगर हम इतिहास की बात करें तो 1908 में स्पेनिश फ्लू जब फैला था तब भी तीन लहर आई थी। जिसमें पहली लहर में कम लोग, दूसरी लहर में सबसे अधिक और तीसरी लहर में बहुत की कम लोगों की मौत हुई है। उसके बाद कोई लहर नहीं आई है। इस तरह भारत में अगर ओमिक्रॉन के मामले बढ़ते है तो कोरोना की तीसरी लहर दिखाई देने को मिल सकती है लेकिन यह उतनी खतरनाक नहीं रहेगी, जितनी दूसरी लहर थी।
इसके साथ अगर हम भारत के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो दूसरी लहर मुख्यतः डेल्टा वैरिएंट के कारण थी, उसने एक बहुत बड़ी जनसंख्या को प्रभावित किया है। साथ ही अभी तक के शोधों से भी यह पता चला है की रीइन्फ़ेक्शन केवल 5-10% लोगों में ही देखने को मिला है। ऐसे में अगर ओमिक्रॉन भारत में तेजी से फैला भी तो, हम उम्मीद कर सकते है कि डेल्टा वैरिएंट से ठीक हुए लोगों में ज़्यादातर लोग इससे गम्भीर रूप से बीमार नहीं होंगे।