Ground Report : 'हॉटस्पॉट' बनकर उभरा भीलवाड़ा Corona मुक्त, देश में बना मिसाल

डॉ. रमेश रावत

शनिवार, 18 अप्रैल 2020 (21:40 IST)
किसी समय देश में कोरोना (Corona) हॉटस्पॉट बनकर उभरा राजस्थान का भीलवाड़ा अब पूरी तरह कोरोना मुक्त हो गया है। इतना ही नहीं प्रशासन और स्थानीय लोगों के सामूहिक प्रयासों की के चलते 'भीलवाड़ा मॉडल' की चर्चा अब पूरे देश में होने लगी है। भीलवाड़ा ने यह भी दिखा दिया कि यदि इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।
 
हालांकि यहां तक पहुंचने की राह आसान नहीं थी, लेकिन प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दिन-रात मेहनत कर भीलवाड़ा को कोरोनामुक्त करने में अहम भूमिका निभाई तो जनता ने भी धैर्य का परिचय देते हुए लॉकडाउन का पालन किया। यहां स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लोगों की 2 से 3 बार स्क्रीनिंग की। 
 
कोरोना मुक्त होने के बाद भी भीलवाड़ा के लोग अब भी लॉकडाउन का सख्ती से पालन कर रहे हैं। इसके चलते भीलवाड़ा के सभी मुख्य बाजार, कॉलोनी एवं गलियों का चप्पा-चप्पा शांत एवं खामोश हैं। कोई भी कोरोना को फिर से पांव पसारने का मौका नहीं देना चाहता है। वहीं पुलिसकर्मी भी राहत सामग्री पहुंचाने में जी-जान से जुटे हुए हैं। 
  
इस संबंध में भीलवाड़ा के कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने वेबदुनिया को बताया कि जिले में आज की तारीख में एक भी पॉजिटव केस नहीं है। उन्होंने बताया कि कुल 5790 सैंपल भेजे गए थे। 27 होटलों को क्वाटरंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया, इनमें 1541 कमरे हैं। 8018 लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया। 
 
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मॉनिटरिंग मैकेनिज्म की व्यवस्था की गई। जिनमें पंचायत समिति, ग्राम पंचाय तस्तर पर क्रमश: एसडीएम, बीडीओ, टीडीआर, बीसीएमएचओ, डीवाईएसपी, पटवारी, आईएलआर, ग्राम सचिव, एएनएम, सीनियर सैकेंडरी स्कूल प्रिंसीपल, सरपंच, पंचायत सहायक, टीचर्स एवं आशा सहयोगियों को कोरोना कैप्टन एवं कोरोना फायटर्स के रूप में तैनात किया गया।
 
भट्‍ट ने बताया कि इन सभी ने आपसी समन्वय के साथ होम क्वारंटाइन, मेडिकल, फूड सप्लाई, फूड पैकेट्स, माइग्रेंट लेब्रोरेट्री, लॉ एंड ऑडर सभी कार्य मिलजुल कर किए। घर-घर जाकर सभी प्रकार की राहत सामग्री, खाद्य सामग्री, फल, सब्जी, दूध आदि सहित सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों का वितरण किया गया, जो कि अब भी जारी है।
शहर के साथ ही डोर टू डोर ग्रामीण सर्वे भी किया गया है। इसमें प्रथम फेज में 1937 टीमों ने 4 लाख 41 हजार 953 घरों का सर्वे किया। जिसमें 22 लाख 22 हजार 752 लोग रहते हैं। इनमें 16 हजार 382 आईएलआई पेशेंट पाए गए। दूसरे फेज में 31 मार्च से 2 अप्रैल तक भी 1937 टीमों ने कार्य किया है। डोर टू डोर सिटी स्क्रीनिंग भी की गई है। इसमें तीन फेज एवं रुटीन सर्वे में 4807 टीमों ने 3 लाख 46 हजार 692 घरों का सर्वे किया। जिनमें 17 लाख 35 हजार 770 लोग रहते हैं। इनमें आईएलआई पेशेंट 4 हजार 961 पाए गए।
 
भीलवाड़ा के एसपी हरेंद्र महावर ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने कोरोना को हराने के लिए तीन काम मुख्य रूप से किए। पहला काम कन्टेनटमेंट का था। इसके चलते 20 मार्च को हमने सबसे पहले कर्फ्यू लगाया था। हमने सख्ती की, पब्लिक का भी हमें सहयोग मिला। हमने बेरीकेड्स का सहारा लिया जिसमें पूरे भीलवाड़ा जिले को सील किया एवं सिटी को बाहर से भी सील किया।
 
उन्होंने बताया हमने मेडिकल एवं हैल्थ, फूड एवं वेजीटेबल सप्लाई, किराने के सामान की सप्लाई, डेयरी के सामान की सप्लाई और पैक्ड फूड एवं अन्य प्रकार के फूड की सप्लाई का कार्य पूरी तत्परता से किया। इसमें प्रशासन की विभिन्न टीमों ने कोर्डिनेशन के साथ सभी को घरों में ही सामान समय पर सप्लाय किया और लोगों को बाहर आने का मौका ही नहीं दिया। 
 
इसके साथ ही पुलिसकर्मियों की हैल्थ का ध्यान में रखा था। सभी जवानों के लिए सैनेटाइजर, मास्क, सैनेटाइजर का छिड़काव समय पर किया गया। जवानों को मोटीवेट करने के लिए एसपी से लेकर डिप्टी एसपी तक ने उनके साथ काम किया। पब्लिक का भी पूर्ण सहयोग रहा। यही कारण रहा कि परिणाम भी सकारात्मक आए। 
इस संबंध में जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो व्यापारी संजय कटारिया ने बताया कि 3 से 13 अप्रैल तक प्रशासन ने भीलवाड़ा में महाकर्फ्यू लगाया जिसके चलते किसी भी भीलवाड़ा निवासी ने अपने घर की लक्ष्मण रेखा को नहीं लांघा। सभी को जरूरत की सामग्री दूध, राशन, सब्जी, सिलेंडर घर पर ही उपलब्ध करवाए। उन्होंने कहा कि पूरे शहर में अब भी लॉकडाउन का पालन हो रहा है। आपको बता दें कि कटारिया पिछली बार वेबदुनिया से बातचीत में दावा किया था कि सबसे पहले देश में भीलवाड़ा कोरोना मुक्त होगा।
 
इलेक्ट्रॉनिक व्यापारी दीपक चौधरी का कहना है कि सही समय पर सही निर्णय, नियमों की पालना और मेडिकल टीम का भी सकारात्मक रोल रहा। रोगियों की पहचान कर उनका उपचार किया गया। आरंभ में ही समस्या की पहचान की गई एवं छोटी जगह में अधिक केस के चलते कलेक्टर एवं पुलिस ने उचित कदम उठाते हुए समस्या पर नियंत्रण पाया।
 
इंटीरियर डिजाइनर अभिषेक तांतेड़ ने बताया कि जब कोरोना का पहला मरीज आया तब ही जिला कलेक्टर रोजेंद्र भट्ट एवं पुलिस प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए ही बाहर के लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया। कोई घर से बाहर न निकले इसके लिए हर कॉलोनी एवं घर में लोगों को जरूरत का सामान पहुंचाया गया। 
लांयस क्लब भीलवाड़ा के सचिव आर्किटैक्ट अर्पित जैन ने बताया कि कोरोना को भीलवाड़ा से कोरोना को भगाने में कलेक्टर राजेंद्र भट्ट, एसपी हरेंद्र महावर, सीएमएचओ मुश्ताक खान, मेडिकल कॉलेज की टीम, शिक्षकों एवं नर्सिंग स्टॉफ की स्क्रीनिंग की स्ट्रेटजी का महत्पवूर्ण योगदान है। जैन ने बताया कि इसी दौरान उनकी बेटी को बुखार हो गया था। इस संबंध में जब मेडिकल टीम को बताया तो वे चार से पांच बार घर आए। 
 
वहीं, विवेेेक राठी ने बताया कि भीलवाड़ा कोरोना मुक्त कराने में कलेक्टर साहब और उनकी टीम की मेहनत रही। हर व्यक्ति के जरूरत का सामान घर पहुंच रहा था। जिसके चलते कोई रोड़ पर नहीं निकला।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी