डराने वाले आंकड़े : 84 प्रतिशत से ज्यादा मामले 6 राज्यों से, कोरोना कंट्रोल के लिए केंद्र ने महाराष्ट्र-पंजाब में भेजीं टीमें

रविवार, 7 मार्च 2021 (18:53 IST)
नई दिल्ली। महाराष्ट्र, केरल, पंजाब और गुजरात सहित 6 राज्यों में कोविड-19 के रोजाना नए मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि 18,711 नए मामलों में से 84.71 फीसदी मामले इन्हीं राज्यों से हैं। महाराष्ट्र में सर्वाधिक 10,187 नए मामले सामने आए हैं।

इसके बाद केरल में 2791 मामले जबकि पंजाब में 1159 नए मामले सामने आए हैं। मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार उन राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के संपर्क में है जहां कोरोनावायरस के उपाचाराधीन मरीजों की संख्या ज्यादा है और जहां कोविड-19 के नए मामले बढ़ रहे हैं।

इसने महाराष्ट्र और पंजाब में उच्चस्तरीय टीम तैनात की है जहां रोजाना नये मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। कोविड-19 के रोजाना मामले जिन अन्य राज्यों में बढ़ रहे हैं उनमें कर्नाटक और तमिलनाडु भी हैं। मंत्रालय ने बताया कि रोजाना नए मामलों में आठ राज्यों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
ALSO READ: CM ममता पर बरसे PM मोदी, कोलकाता रैली में बोले- जनता की 'दीदी' की बजाय बन गईं भतीजे की बुआ
भारत में कोविड-19 के इलाजरत मरीजों की संख्या 1.84 लाख है जो कुल संक्रमण का 1.65 फीसदी है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 100 लोगों की मौत हुई है। नए मृतकों में 87 फीसदी छह राज्यों से हैं। महाराष्ट्र में सर्वाधिक 47 लोगों की मौत हुई है, जबकि केरल में मौतों की संख्या 16 है। पंजाब में 12 लोगों की मौत हुई। पिछले दो हफ्ते में दस राज्यों में कोविड-19 से किसी की मौत नहीं हुई, जबकि 12 राज्यों में एक से 10 मौतें हुई हैं।
 
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी को किया गया नजरअंदाज : गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने विधानसभा में दावा किया कि विजय रुपाणी सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण पर डब्ल्यूएचओ और केंद्र सरकार की चेतावनी को नजरअंदाज कर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत में यहां कार्यक्रम आयोजित किया था। मोटेरा स्टेडियम में पिछले साल 24 फरवरी को इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें एक लाख से अधिक लोग एकत्रित हुए थे।

चावड़ा ने शनिवार को विधानसभा में कहा कि चीन में कोविड-19 फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल 30 जनवरी को स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की थी और सभी देशों को चेतावनी जारी की थी। केंद्र सरकार ने राज्यों से बड़ी जनसभाएं आयोजित न करने को कहा था। इसके बावजूद गुजरात सरकार ने नमस्ते ट्रंप का आयोजन किया।

आनंद जिले के अंकलाव से विधायक चावड़ा ने कहा कि जब सरकार को लोगों को संक्रमण से आगाह करना चाहिए था तब उसने पार्टी के राजनीतिक लाभ के लिए नमस्ते ट्रंप जैसा आयोजन किया। इन आरोपों का खंडन करते हुए गुजरात भाजपा प्रवक्ता यामल व्यास ने कहा कि नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम और वायरस के प्रसार में कोई संबंध नहीं है। आयोजन फरवरी में किया गया था और कोरोना वायरस लॉकडाउन मार्च में हुआ था। चावड़ा, सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपनी बात कह रहे थे।
 
आधी आबादी पर कोरोना का असर : संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग (यूएन वूमेन) में भारतीय मूल की शीर्ष अधिकारी अनिता भाटिया ने कहा है कि कोविड-19 महामारी ने महिलाओं की आय, स्वास्थ्य और सुरक्षा को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
 
8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले भाटिया ने कहा कि अब उनके सामने एक समस्या यह है कि देखभाल को लेकर बढ़ी जिम्मेदारी के कारण उनके लिए कार्यस्थल पर फिर से लौटना असंभव सा हो गया है।
 
वैश्विक संस्था की महिला सशक्तीकरण एवं लैंगिक समानता पर केंद्रित एजेंसी ‘यूएन वूमेन’ में असिस्टेंट सेक्रेटरी जनरल और उप कार्यकारी निदेशक भाटिया ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से साक्षात्कार में कहा कि महामारी के एक वर्ष में हम इन चीजों का वास्तविक प्रभाव देख रहे हैं। लेकिन एक बात महामारी के माध्यम से स्पष्ट हो गई है जो शुरुआत में इतनी स्पष्ट नहीं थी कि महिलाओं पर देखभाल का बोझ बढ़ा है।  भाटिया ने कहा कि महिलाओं पर महामारी का प्रभाव पुरुषों के मुकाबले असंगत रहा है और वैश्विक स्वास्थ्य संकट के कारण महिलाओं की आय, स्वास्थ्य और सुरक्षा नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही हैं।
 
उन्होंने कहा कि महामारी से पहले महिलाएं पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक देखभाल के काम, बिना वेतन के कर रही थीं लेकिन अब यह काम और बढ़ गया है क्योंकि महिलाओं को अपने घर का काम करना पड़ रहा है, बच्चों को उनके गृहकार्यों में मदद करनी पड़ रही है और यह सुनिश्चित करना पड़ रहा है कि भोजन उनकी मेज पर हो।
 
भाटिया ने कहा कि नई समस्या जो अब हम देख रहे हैं, महामारी के एक वर्ष में, न केवल महिलाओं ने नौकरी गंवाई हैं बल्कि अब अर्थव्यवस्थाओं के खुलने के बाद भी आप महिलाओं को उसी समान संख्या में फिर से नौकरी करते हुए नहीं देख पा रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि अगर यह सिलसिला जारी रहा तो देशों में उत्पादकता में गिरावट देखी जायेगी क्योंकि आधी आबादी काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्पादकता में गिरावट के बाद जीडीपी में गिरावट होगी।

उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सरकारों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार करने और नकदी अंतरण योजना के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी महिलाओं को बाल देखभाल की सुविधा और सुविधाजनक काम के घंटे उपलब्ध कराने के बारे में सोचना होगा।
 
भाटिया ने कहा कि सरकारों को डिजिटल संरचना और कौशल में निवेश जारी रखना होगा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सुनिश्चित करना होगा जिससे महिलाओं पर देखभाल का बोझ कम हो सके।
 
उन्होंने कहा कि यह केवल सार्वजनिक क्षेत्र के लिए नहीं है बल्कि निजी क्षेत्र के लिए भी है क्योंकि ऐसा सिर्फ केवल सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता है। व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।  (इनपुट भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी