Corona से जंग में दिव्यांग शबीना बनीं मिसाल, दान की अपनी पेंशन...
सोमवार, 27 अप्रैल 2020 (23:21 IST)
लखनऊ। उसकी आंखों में रोशनी ना सही, लेकिन कोरोना वायरस (Corona virus) कोविड-19 से उत्पन्न संकट से लड़ाई में उसने अपनी आंखें बंद नहीं की हैं। 500 रुपए महीना दिव्यांग पेंशन पाने वाली शबीना सैफी गरीब हैं, देख नहीं सकतीं और चल भी नहीं पातीं।
लॉकडाउन के समय जब हर कोई अपने भविष्य को लेकर चिन्तित है, इस बहादुर लड़की ने जरा भी नहीं सोचा कि वह अपना जीवन कैसे चलाएगी। उसने 10 महीने की पेंशन यानी 5000 रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए दे दी।
पेंशन दान करने के बारे में पूछने पर शबीना ने बताया, काम ऊपर वाला चलाएगा। हम थोड़े में काम चला लेंगे। उन्होंने कहा, मेरी कुछ बचत है जो मैंने संगीत प्रस्तुतियां कर जोड़ी हैं। लोग मेरी मदद करते हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा संभव नहीं है। कोरोना वायरस की समस्या खत्म हो, हम सब यही चाहते हैं।
शबीना की उम्र 28 वर्ष है। वह गीत और भजन गाती हैं और परिवार चलाने के लिए संगीत प्रस्तुतियां देती हैं। वह बताती हैं कि कभी स्कूल नहीं जा सकीं। जब दो साल की थीं, तो पोलियो हो गया और उसके बाद आंखें चलीं गईं। वह चूंकि कुछ करना चाहती थीं इसलिए पिता से कहकर संगीत की शिक्षा ली और प्रभाकर की डिग्री हासिल की। वह लखनऊ में 2006 से 2016 के बीच युवा महोत्सवों में हिस्सा लेती रहीं।
उन्होंने कहा कि वह उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रदर्शन कर चुकी हैं और आकाशवाणी पर भी प्रस्तुति दे चुकी हैं। वह इस समय संगीत प्रस्तुतियां देकर अपनी आजीविका चलाती हैं। शबीना को कई पुरस्कार और प्रशस्तियां मिल चुकी हैं। उन्हें 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार से भी पुरस्कार मिल चुका है।संगीत क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के लिए उप राष्ट्रपति उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।शबीना से राहत कोष में दी गई राशि लेने भारतीय स्टेट बैंक की
सआदतगंज शाखा के प्रबंधक पहुंचे।
शबीना ने कहा, आज मुझे सौभाग्य मिला है कि इस विपदा की घड़ी में मैं अपने कर्तव्य का निर्वाह कर पाई। सबको अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए क्योंकि हमारा भी देश के प्रति कुछ कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि ये कार्य सबको करना चहिए।
विशेषकर मुस्लिम समुदाय के लोग भी आगे आएं। जिसकी जो क्षमता है... जरूरी नहीं कि 5000 रुपए करें या 500 रुपए... ये कुछ नहीं होता है। भावना की बात होती है। उन्होंने कहा, अपनी क्षमता के अनुसार आप जो भी कर सकते हैं, इस विपत्ति की घड़ी में अवश्य करिए। करके देखिए, अच्छा लगता है।(भाषा)