कोरोना वायरस (Corona Virus) की घातकता और गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि दुनिया भर में मरने वालों का आंकड़ा 16 हजार 500 से ऊपर पहुंच गया है। भारत में ही कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 500 से ऊपर हो गई, जबकि मरने वालों का आंकड़ा 10 के आसपास है। अमेरिका जैसे विकसित देश भी इस वायरस के आगे खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं क्योंकि इसका कोई वैक्सीन अभी उपलब्ध नहीं है। अर्थात बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है।
लगभग पूरे भारत में ही लॉकडाउन की स्थिति है। पंजाब और महाराष्ट्र में हालात को देखते हुए राज्य सरकारों को कर्फ्यू लगाने का फैसला लेना पड़ा। लेकिन, सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि क्या कोरोना जैसे घातक वायरस से बचने या बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ केन्द्र और राज्य सरकारों की ही है? क्या हमारी भी जिम्मेदारी नहीं है कि हम स्वयं को और अपने परिवार को स्वस्थ और सुरक्षित रखें?
दरअसल, लॉकडाउन की स्थिति में भी लोक अनावश्यक रूप से सड़कों पर घूमने निकल जाते हैं। इस तरह के लोगों की मानसिकता सिर्फ शहर का माहौल देखने की होती है। ऐसे लोग अपने स्वास्थ्य के साथ ही दूसरे के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं।
हालांकि जगह-जगह शहरों में पुलिस तैनात है। वह लोगों की जांच भी कर रही है। पहली बात तो यह है कि आप अनावश्यक रूप से घर से बाहर ही न निकलें। यदि बहुत जरूरी हो तभी बाहर निकलें और सड़क पर पुलिस और प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करें। यदि पुलिसकर्मी आपसे कोई पहचान पत्र मांगें तो उनके साथ पूरा सहयोग करें। क्योंकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई व्यक्ति विशेष की न होकर पूरे देश यहां तक कि पूरी दुनिया की है।
लॉकडाउन से घबराएं बिलकुल भी नहीं। लॉकडाउन का मतलब आपको घर में बंद करना नहीं है, बल्कि इस घातक बीमारी से सबको बचाना है। यदि कोई मेडिकल इमरजेंसी होगी या जरूरी काम होगा तो पुलिस और प्रशासन आपका सहयोग ही करेंगे। अत: घबराएं नहीं, बस अपनी जिम्मेदारी समझें। क्योंकि इस घातक वायरस से लड़ने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं हम सबकी भी है। ... तो फिर संकल्प लें कि हम घर में रहेंगे और इस वायरस से अपनी और दूसरों की भी सुरक्षा करेंगे।