ओमिक्रॉन वैरिएंट की दस्तक के बाद देश एक बार फिर संकट के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से ओमिक्रॉन वैरिएंट को डेल्टा वैरिएंट की तुलना में पांच गुना अधिक खतरनाक बताए जाने के बाद भी लोग लापरवाह नजर आ रहे है। ओमिक्रॉन वैरिएंट के अब तक मिले संक्रमित लोगों की ट्रैवल हिस्टी होने के साथ-साथ यह भी पाया गया है कि वह किसी कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे। देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भी अधिकांश कोरोना के केस उन लोगों में रिपोर्ट हो रहे है जिनकी ट्रैवल हिस्ट्री रही हो या वह किसी कार्यक्रम में शामिल रहे हो।
वेबदुनिया ने देश के हेल्थ एक्सपर्ट से बात कर इस बात को समझने की कोशिश की है कोरोना नए खतरे से कैसे बचा जा सकता है? एक्सपर्ट का दावा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से दहशत से बल्कि सतर्कता, सावधानी और जागरुकता से निपटा जा सकता है।
1-मास्क संक्रमण से बचने का सबसे कारगर उपाय- देश के सभी एक्सपर्ट ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ लड़ाई में मास्क को सबसे हथियार मान रहे है। एक्सपर्ट मानते है कि अगर आपने मास्क पहने के साथ कोरोना संयमित व्यवहार (कोरोना प्रोटोकॉल) का सही तरीके से पालन कर रहे है तो आप संक्रमण से बच सकते है।
भोपाल के एम्स के पूर्व डायरेक्टर प्रोफेसर सरमन सिंह कहते हैं कि मास्क ही कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय है और यह सभी वैरिएंट पर प्रभावी है। इसको हमको समझना होगा कि कोरोना वायरस में चाहें जितने म्यूटेशन हो जाए, चाहे जितने वैरिएंट आ जाए अगर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचना है तो हमको मास्क का प्रयोग करना ही होगा। आज मास्क एक सोशल वैक्सीन है। कोरोना वायरस का चाहे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा या डेल्टा प्लस वैरिएंट या अब ओमिक्रन वैरिएंट हो सभी से मास्क प्रभावी तरीके से बचाएगा।
2-संक्रमण से बचने के लिए वेंटीलशन का रखें ध्यान-ओमिक्रॉन वैरिएंट जिसको डेल्टा वैरिएंट की अपेक्षा पांच गुना अधिक संक्रामक माना जा रहा है, ऐसे में हमको संक्रामण से बचना होगा। एक्सपर्ट लोगों को सलाह देते है कि हमको ऐसी जगह से जाने से बचना होगा जहां वेंटीलेशन नहीं है क्योंकि यहां पर संक्रमित व्यक्ति के एयरोसोल से आप संक्रमण का शिकार हो सकते है। इसके साथ सार्वजनिक स्थल पर आपको सोशल डिस्टेंसिंग बनानी होगी।
एक्सपर्ट कहते हैं कि वायरस का तेजी से संक्रमण वहीं होगा जहां वेंटीलेशन नहीं होगा। जैसे बंद कमरे अगर कोई संक्रमित व्यक्ति आता है तो एयरोसोल की वजह से दूसरे लोगों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। अगर आप कोई संयमित व्यवहार कर रहे है तो आपक इंफेक्शन से बच सकते है। अगर आप सोशल डिस्टेंसिंग नहीं कर रहे तो आप इंफेक्शन में आ सकते है।
देश के जाने माने हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि अगर हम सही तरीके से मास्क लगाते है और कोरोना एप्रोपियट व्यवहार का पालन करते हैं तो चाहे कोरोना की दूसरी लहर हो या तीसरी लहर हम कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते है।
3-वैक्सीन के दोनों डोज जरुर लगवाएं-कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने में वैक्सीन सबसे बड़े हथियार के रूप मे है। कोरोना वायरस को लेकर हुई अब तक स्टडी के आधार पर वैज्ञानिकों का दावा है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगाने के बाद कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने के साथ वायरस से होने वाली मौतों को भी टाला जा सकता है। आईसीएमआर स्टडी बताती है कि जिन वैक्सीन की पहली डोज के बाद 96 फीसदी और जिनको वैक्सीन को दोनों डोज लगी है उनमें 98 फीसदी लोगों को गंभीर बीमार और मौत की संभावना नहीं है।
(बीएचयू) में आनुवंशिकी (जैनेटिक्स) के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट पर वैक्सीन का असर नहीं होगा ऐसा कोई प्रमाण अब तक नहीं मिलेगा। कोराना का डेल्टा वैरिएंट भी वैक्सीन लगे कुछ लोगों को संक्रमित कर रहा है। उसी तरह ओमिक्रॉन वैरिएंट भी वैक्सीन लगे कुछ लोगों को संक्रमित करेगा लेकिन सबको संक्रमित नहीं कर पाएगा। अभी तक कोई ऐसा वैरिएंट नहीं आया है जो वैक्सीन को पूरी तरह से नहीं माने।
4-कोरोना संकमण को हल्के में न लें- देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के दस्तक देने के बाद भी अब भी लोग लापरवाही करते नजर आ रहे है। बड़े-बड़े कार्यक्रमों के होने का सिलसिला अभी भी जारी है और कार्यक्रमों से लेकर बाजारों तक लोग बिना मास्क के नजर आ रहे है। इतनी तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर भी लापरवाही कर अपनी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे है।
मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि हमको कोरोना से लड़ाई लड़ते हुए लगभग दो साल हो चुके हैं फिर भी अगर हम मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड प्रोटोकॉल को नहीं समझ रहे हैं तो यह कहीं ना कहीं हमारी हमारी विकृत मनोदशा को दर्शाता है और यह बताता है कि हम सब कितने लापरवाह हैं। हम अपने सारे अच्छे स्वास्थ्य की जिम्मेदारियों को सरकार से चाहते हैं जबकि होना यह चाहिए कि मेरा स्वास्थ्य मेरी जिम्मेदारी मुझे मुझे स्वयं को कोरोना से बचाना है।
लोगों को समझना होगा कि उन्हें वैक्सीनेशन के साथ मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अपने स्वास्थ्य के लिए करना है और उसके लिए खुद के विवेक की आवश्यकता है ना कि सरकार के इंस्ट्रक्शन किए और अगर सरकार इस तरीके की इंस्ट्रक्शंस बार-बार देना पड़ रहा है तो कहीं ना कहीं यह दिखा रहा है कि हम अपनी जिंदगी का मूल्य खुद नहीं समझ रहे है।