अधिकारी ने कहा कि मई से लेकर अब तक गुजरात में लगभग 6,400 ‘टॉसिलीजुमाब’ इंजेक्शन का आयात किया जा चुका है। हाल ही में सूरत और अहमदाबाद में पड़े छापों में नकली ‘टॉसिलीजुमाब’ इंजेक्शन बेचने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ था। एफडीसीए के आयुक्त हेमंत कोशिया ने कहा कि कथित रूप से गिरोह का सरगना सोहेल इस्माइल ताई सूरत में जेनिक फार्मा नामक फर्जी कंपनी चलाता था और अपने आवास पर नकली इंजेक्शन बनाता था।
उन्होंने बताया कि एफडीसीए के छापे में उसके आवास से दवा बनाने के उपकरण और 8 लाख रुपए मूल्य के ऐसे घटक (एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट) बरामद किए गए जिनसे दवा का उत्पादन किया जाता है। अधिकारी ने कहा कि ताई एजेंटों को दवा की आपूर्ति करता था जो उसे विभिन्न दुकानदारों को वितरित करते थे। उन्होंने कहा कि एफडीसीए ने नकली टॉसिलीजुमाब दवा बनाने और बेचने के लिए पांच लोगों पर मामला दर्ज किया।
अधिकारी ने कहा कि आरोपियों के विरुद्ध पुलिस में शिकायत करने की प्रक्रिया जारी है। कोशिया ने कहा कि मई के पहले सप्ताह में गुजरात सरकार ने टॉसिलीजुमाब इंजेक्शन खरीदने और सरकारी अस्पतालों को मुहैया कराने का निर्णय लिया था ताकि कोविड-19 के कुछ मरीजों के इलाज में उसका प्रयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि गांधीनगर सरकारी अस्पताल में टॉसिलीजुमाब से दो मरीजों के ठीक होने के बाद यह निर्णय लिया गया था।
कोशिया ने कहा, उस समय तक गुजरात में राज्य सरकार द्वारा खरीदे गए केवल 20 इंजेक्शन उपलब्ध थे। कंपनी ने उसके बाद और अधिक इंजेक्शन का आयात किया। उन्होंने कहा, 'यह दवा कोविड-19 के कुछ विशेष मामलों में प्रयोग की जाती है। लेकिन, 13 मई को आईसीएमआर द्वारा उपचार के नियमों में इसको शामिल किए जाने के बाद इसकी मांग में वृद्धि हुई है जिसके कारण मांग और आपूर्ति में असंतुलन और जनता में परेशानी पैदा हुई है।'