कोहली ने कहा, इस संकट का एक सकारात्मक पहलू यह है कि एक समाज के तौर पर हम अधिक उदार हो गए हैं। हम इस जंग में मोर्चे पर जुटे योद्धाओं के प्रति कृतज्ञता दिखा रहे हैं। चाहे वे पुलिसकर्मी हों, डॉक्टर या नर्सें। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि संकट से उबरने के बाद भी यह जज्बा कायम रहेगा।
कोहली ने कहा, जीवन के बारे में कुछ नहीं कह सकते। जिससे खुशी मिले, वह करो और हर समय तुलना नहीं करते रहना चाहिए। इस संकट के बाद जीवन अलग हो जाएगा।
अनुष्का ने कहा, इन सबसे भी सीख ही मिली है। जीवन में कुछ भी अकारण नहीं होता। यदि मोर्चे पर ये लोग डटे नहीं होते तो हमे बुनियादी चीजें भी नहीं मिल पाती। उन्होंने कहा, इसने हमें सिखाया है कि कोई दूसरे से खास नहीं है। सब कुछ सेहत है। अब हम एक समाज के तौर पर अधिक जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।
कोहली से यह भी पूछा गया कि वह कौनसा पल था, जिसमें उन्होंने सबसे असहाय महसूस किया? इस पर उन्होंने कहा, जब शुरुआत में प्रदेश की टीम में भी मेरा चयन नहीं हो पा रहा था। मैं पूरी रात रोता रहा और मैंने अपने कोच से पूछा कि मेरा चयन क्योंं नहीं हो रहा है। इसके बाद मैंने अपनी मेहनत और लगन के बूते पर पहले दिल्ली की टीम में फिर राष्ट्रीय टीम में स्थान बनाया।