लॉकडाउन के कारण कई दिनों से जम्मू में फंसे रहने के बाद 150 श्रमिक गुरुवार को कंधे पर अपना सारा सामान लिए घर की ओर पैदल निकल पड़े। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के निवासी सुरेंद्र ने कहा, कोई हमारे लिए नहीं सोचता। हम जम्मू से पैदल सैकड़ों किलोमीटर चलकर आए लेकिन किसी ने भी हमें रोककर नहीं पूछा कि हम कहां जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के निवासी प्रवासी श्रमिकों ने सरकार पर शिकायतों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि कश्मीरी छात्रों और श्रमिकों को उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश से बसों और ट्रेनों से वापस लाया जा सकता है तो उसी बस और ट्रेन से उन्हें उनके गृह नगर क्यों नहीं भेजा जा सकता।
मेरठ के निवासी ताहिरदीन ने कहा, कश्मीरी छात्रों और श्रमिकों को यथासंभव सुविधाएं देकर वापस लाया गया, लेकिन सरकार ने हमें नजरअंदाज किया।(भाषा)