Corona प्रभावित परिवारों के मुआवजे का ब्योरा 10 दिन में पेश करें, SC ने सभी राज्यों को दिए निर्देश
गुरुवार, 20 जनवरी 2022 (23:54 IST)
नई दिल्ली। गुजरात में 2001 में आए भूकंप के बाद वहां के उच्च न्यायालय के आदेश से प्रेरणा लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 के कारण दर्ज मौत और प्रभावित परिवारों को दी गई अनुग्रह राशि का विस्तृत ब्योरा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के साथ साझा करें।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव लोकपाल और सूत्रधार के रूप में कार्य करेंगे। शीर्ष अदालत ने राज्यों को यह सत्यापित करने का निर्देश दिया है कि सभी दर्ज मौतों के मामले में भुगतान किया गया है या नहीं। यदि कोई भुगतान नहीं भी हुआ है तो प्रभावित परिवारों से अधिकारियों को मिलने का भी निर्देश दिया गया है।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने बृहस्पतिवार को इस संबंध में एक विस्तृत आदेश पारित किया और कहा, हम सभी राज्यों को यह निर्देश देते हैं कि वे संबंधित मौत के मामलों में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को विस्तृत ब्योरा उपलब्ध कराएं और यह भी बताएं कि उन मामलों में मुआवजे का भुगतान हुआ है या नहीं।
न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि दर्ज मौतों का विस्तृत ब्योरा और मुआवजे के भुगतान से संबंधित विवरण दस दिन के भीतर संबंधित राज्य सरकारों को जमा करा देने चाहिए। पीठ ने कहा, यदि संबंधित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव यह पाते हैं कि किसी दर्ज मौत के मामले में मुआवजे का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है, तो राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण संबंधित जिला अथवा तालुका विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से संबंधित परिवार तक पहुंचेगा और मुआवजे का भुगतान कराएगा।
न्यायमूर्ति शाह ने बुधवार को दावों के वितरण पर दलीलों पर सुनवाई करते हुए कहा था कि शीर्ष अदालत प्रभावित परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय के मॉडल का पालन कर सकती है।
शीर्ष अदालत अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और हस्तक्षेपकर्ताओं की याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोविड-19 से प्रभावित परिवार के सदस्यों को अनुग्रह राशि की मांग की गई थी। हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी पेश हुए थे।
शीर्ष अदालत ने बुधवार को सभी राज्य सरकारों को उन बच्चों तक पहुंचने और उन्हें मुआवजा देने का निर्देश दिया था, जो अपने माता-पिता दोनों को कोविड-19 के कारण खो चुके थे।
पीठ ने याचिकाकर्ता गौरव बंसल और अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी की दलीलों पर ध्यान देते हुए कहा था कि महामारी की शुरुआत के बाद से कोविड और अन्य कारणों से 10000 से अधिक बच्चे अनाथ हो गए हैं और उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए।(भाषा)