कोरोना संकट के बीच शाह की बिहार रैली राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश
रविवार, 7 जून 2020 (00:21 IST)
नई दिल्ली। बिहार में अमित शाह की डिजिटल रैली से भाजपा के चुनावी बिगुल बजाने के एक दिन पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि देश में कोरोना वायरस (Corona virus) कोविड-19 संकट के समय चुनाव अभियान चलाना राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि भले ही लोगों की जान जाए भगवा पार्टी की दिलचस्पी केवल चुनावी जीत में है।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राजग सरकार प्रवासी मजदूरों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा होगा।
यादव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गरीबों की हितैषी तथा संविधान को सर्वोच्च मानने वाली समान विचाराधारा की पार्टियां एक साथ आएंगी और राज्य में 15 साल के विभाजनकारी और नाकाम सरकार के खिलाफ लड़ेंगी।उन्होंने विपक्षी खेमे में फूट की खबरों को भी खारिज करते हुए कहा कि अलग दृष्टिकोण रखना किसी भी लोकतंत्र के लिए लाभकारी है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सात मई को अमित शाह की रैली के जवाब में ‘गरीब अधिकार दिवस’ मनाने का फैसला किया है। शाह वीडियो कॉन्फ्रेंस और फेसबुक लाइव के जरिए राज्य के लोगों को संबोधित करेंगे। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शाह की डिजिटल रैली के जरिए भाजपा बिहार में चुनावी बिगुल बजा रही है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जयसवाल ने कहा कि पार्टी ने रैली के जरिए बिहार में 243 विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम एक लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य तय किया है। इसके अलावा सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी लोग भाषण सुन पाएंगे।
राजद के ‘गरीब अधिकार दिवस’ के आयोजन को लेकर यादव ने कहा था कि भाजपा और जद (यू) सिर्फ अपनी सत्ता की भूख मिटाना चाहती है लेकिन हम गरीबों-मजदूरों के पेट की भूख मिटाना चाहते हैं। सात जून को सभी बिहारवासी अपने-अपने घरों में थाली, कटोरा और गिलास बजाएंगे। बाहर से लौटे सभी श्रमिक भाई भी थाली-कटोरा बजा चैन से नींद में सो रही बिहार सरकार को जगाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन कोरोना योद्धाओं के सम्मान में लोगों से थाली, ताली बजाने को कहा था। राजद भी अपने अभियान से इसकी याद दिलाएगी। यादव ने कहा, देश में स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना को तहस-नहस करने वाले संकट और राज्य में सामुदायिक स्तर पर संक्रमण के फैलने के बीच (भाजपा की) डिजिटल चुनावी रैली भाजपा की प्राथमिकताओं को दिखाती है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, इस समय चुनाव अभियान चलाना राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश जैसा है। गरीबों, जरूरतमंद और प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के बजाए वे जान की कीमत पर चुनाव जीतना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और बिहार में राजग सरकार ने लोगों के कल्याण का विचार त्याग दिया है। यादव ने कहा कि सरकार बनाने के बजाए लोगों की जान बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
क्या चुनाव अभियान के दौरान बिहार के प्रवासी मजदूरों की बदहाली के मुद्दे को उठाया जाएगा, इस पर यादव ने कहा कि नीतीश कुमार सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को नजरअंदाज किया है। राजद नेता ने कहा, 29 मई को बिहार सरकार ने जिला पुलिस अधीक्षकों को एक पत्र जारी कर कहा है कि प्रवासी मजदूरों के लौटने के कारण लूटपाट, डकैती और अपराध की घटनाएं बढ़ेंगी क्योंकि सरकार उनको रोजगार देने में सक्षम नहीं है।
यादव ने कहा, एक तरह से सरकार ने कहा है कि प्रवासी श्रमिक अपराधी है। बिहारी स्वाभिमानी हैं और नीतीश सरकार द्वारा की जा रही उपेक्षा और अपमान, निश्चित तौर पर चुनावी मुद्दा बनेगा। उन्होंने कहा कि सरकार अपना फर्ज निभाने में नाकाम रही है। यादव ने दावा किया कि ‘इतिहास में पहली बार’ किसी राज्य सरकार ने अपने ही लोगों को आने से रोक दिया।
विपक्ष के नेता ने कहा, केवल बिहार के मुख्यमंत्री ने ही अपने प्रवासी श्रमिकों को आने की इजाजत नहीं दी, फंसे हुए लोगों को खाना नहीं दिया और ट्रेन का किराया भी देने से इनकार कर दिया, जबकि, झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली हमारी सरकार ने विमानों से फंसे हुए लोगों को लाने का इंतजाम किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड-19 के संकट ने कुमार के लापरवाह और अमानवीय रुख को उजागर कर दिया। ऐसे लोग जो उनकी राजनीति का अनुसरण करते हैं, उन्हें पता है कि वह (नीतीश) गरीब विरोधी, मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, युवा और आम आदमी के विरोधी हैं और हमेशा उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है।राज्य में भाजपा, जदयू और लोजपा का गठबंधन है। राजद, कांग्रेस और अन्य दलों का गठबंधन सत्ताधारी राजग को विधानसभा चुनाव में चुनौती देगा।(भाषा)