न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, हमने काफी पहले आदेश पारित किया था। हम एक बार समय अवधि में विस्तार कर चुके हैं। जब तक आप दिशानिर्देश बनाएंगे तब तक तीसरा चरण भी समाप्त हो जाएगा।
केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को भरोसा दिलाया कि हर चीज विचाराधीन है। याचिका दायर करने वाले वकील गौरव बंसल ने कहा कि विचाराधीन होने का बहाना कर चीजों में विलंब नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि शीर्ष अदालत 16 अगस्त को केंद्र को चार हफ्ते के समय का विस्तार दे चुकी है, ताकि मुआवजे के भुगतान के लिए दिशानिर्देश बनाया जा सके, लेकिन केंद्र सरकार अब और वक्त मांग रही है।