पत्रिका 'फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायलॉजी' में प्रकाशित और सार्स-सीओवी-2 पर अब तक के सबसे गहन अध्ययन में कोरोनावायरस के 48,635 जीनोम का विश्लेषण किया गया है। इन जीनोम को दुनियाभर में अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगशालाओं से प्राप्त किया।
इटली के बोलोना विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने वायरस के सभी महाद्वीपों में फैलने के दौरान इसके फैलाव और उत्परिवर्तन की मैपिंग की। अध्ययन के निष्कर्ष में सामने आया कि नोवेल कोरोनावायरस बहुत कम परिवर्तनशीलता (वैरिएबिलबटी), प्रति नमूने करीब 7 उत्परिवर्तन प्रदर्शित करता है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार सामान्य इन्फ्लुएंजा में परिवर्तनशीलता की दर दुगने से अधिक होती है।
उन्होंने कहा कि इसका आशय हुआ कि हम इसके खिलाफ कोई टीका समेत अन्य जो भी उपचार तरीके विकसित कर रहे हैं, वे सभी तरह के वायरस के खिलाफ प्रभावी हो सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इस समय नोवेल कोरोना वायरस के 6 प्रकार सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि इनमें सबसे मौलिक 'एल' स्ट्रेन है, जो दिसंबर 2019 में वुहान में सामने आया था। इसके पहले उत्परिवर्तन के बाद 'एस' स्ट्रेन सामने आया जिसका पता 2020 की शुरुआत में चला, वहीं जनवरी के मध्य में 'वी' और 'जी' स्ट्रेन सामने आए। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार आज की तारीख में सबसे ज्यादा प्रकोप स्ट्रेन 'जी' का है, जो फरवरी के अंत तक 'जीआर' तथा 'जीएस' स्ट्रेन में उत्परिवर्तित हुआ। (भाषा)