उसने कहा कि अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों को ये दवाएं दी गईं, उनकी मृत्युदर बढ़ने का भी कोई ‘ठोस साक्ष्य’ नहीं है, वहीं इससे जुड़े परीक्षण के ‘क्लीनिकल प्रयोगशाला परिणाम में इससे जुड़े सुरक्षा संबंधी कुछ संकेत मिले हैं’।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह फैसला उन मरीजों पर संभावित परीक्षण को प्रभावित नहीं करेगा, जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं या कोरोनावायरस के संपर्क में आने की आशंका से पहले या उसके कुछ ही देर बाद दवा ले रहे हैं। (भाषा)