देश में एक बार फिर कोरोना के तेजी से बढ़ते मामले डारने लगे है। पिछले एक हफ्ते में देश में कोरोना के 95% तक केस अचानक से बढ़ गए है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में कोरोना के केस बढ़ते जा रहे है। कोरोना की चौथी लहर की आंशका के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ बैठक कोरोना के हालात पर समीक्षा करने जा रहे है। कोरोना की चौथी लहर की आंशका के बीच ऐसे संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से सामने आ रही है जो पहले भी कोरोना से संक्रमित हो चुके थे। इस बीच कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने मंगलवार को कहा कि विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है कि कोविड-19 (Covid-19) की चौथी लहर जून के बाद चरम पर पहुंच सकती है और इसका असर अक्टूबर तक रहेगा।
आखिर देश में अचानक से कोरोना के मामले क्यों तेजी से बढ़ने लगे और क्यों कोरोना की चौथी लहर की आंशका बढ़ने लगी है। इसको लेकर वेबदुनिया ने बनारस हिंदू यूनिर्विसटी के साइंटिस्ट प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे से खास बातचीत की।
दरक रही हाइब्रिड इम्युनिटी की दीवार-देश में कोरोना की चौथी लहर लेकर चिंता का सबसे बड़ा कारण देश में कोरोना वायरस के खिलाफ बनी हाइब्रिड इम्युनिटी का तेजी से खत्म होना है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस को लेकर जो हाइब्रिड इम्युनिटी थी वह अब तेजी से गिर रही है। कोरोना वायरस को लेकर सबसे नई रिसर्च रिपोर्ट लाने वाले बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में जूलॉजी विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते है कोरोना वायरस से बचाने के लिए जो हाइब्रिड इम्युनिटी की दीवार थी वह अब तेजी से दरक रही है। वह कहते हैं कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद लगभग 55% लोगों के पास हाइब्रिड इम्यूनिटी थी जो तीसरी लहर के बाद बढ़कर 70% हो चुकी थी। लेकिन उसके तीन महीने बाद किए गए ताज़ा सर्वे में यह घटकर मात्र 17% लोगों के पास रह गयी।
एंटीबॉडी खत्म होना सबसे बड़ा खतरा-वेबदुनिया से बातचीत में प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं कि सीरो सर्वे में पता चला है कि 30% लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी खत्म हो चुकी है और आने वाले एक-दो महीने में शेष 46% लोगों में एंटीबॉडी खत्म होने के आसार है। बनारस में किए गए सीरो सर्वे में यह बात सामने आयी कि अब काफ़ी लोगों में एंटीबाडी धीरे धीरे समाप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी है। ऐसे में अब अगर इतनी बड़ी आबादी में एक साथ एंटीबॉडी खत्म होती है तो यह एक बड़ा खतरा होगा।
क्या है हाइब्रिड इम्युनिटी?-दरअसल हाइब्रिड इम्यूनिटी उन लोगों में मिलती है हो प्राकृतिक रूप से कोरोना से इन्फ़ेक्ट हो चुके है और साथ में जिनका सम्पूर्ण टीकाकरण भी हो चुका है। ऐसे लोगों को कम से कम 6 महीने तक दुबारा संक्रमण की सम्भावना न के बराबर होती है। दरअसल हाइब्रिड इम्युनिटी वायरस के किसी भी वैरिएंट को रोकने में सक्षम होती है।
प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे कहते है कि हाइब्रिड इम्यूनिटी ही किसी भी वायरस के वैरियंट के ख़िलाफ़ एक दीवार की तरह काम करती है,ऐसे में हाइब्रिड इम्युनिटी का काम होना वायरस की किसी भी नयी लहर के लिए मुफ़ीद ज़मीन तैयार करेगा। वह कहते हैं कि आने वाले दिनों में हाइब्रिड इम्युनिटी में जब तेजी से गिरावट आएगी तो एक नई लहर की संभावना काफी बढ़ जाएगी।
संक्रमण का खतरा किनको अधिक?-कोरोना की चौथी लहर की आंशका के बीच उन लोगों के संक्रमित होने का सबसे अधिक खतरा है जो अब तक संक्रमित नहीं हुए है। इसके साथ बुजुर्ग और हाई रिस्क वाले लोगों को संक्रमण का सबसे अधिक खतरा है। वहीं ज्ञानेश्वर चौबे कहते हैं फिलहाल कोरोना की किसी देशव्यापी लहर की संभावना नहीं के बराबर है।