उन्होंने लिखा, 13 जुलाई को यह घोषणा करने का कारण है। हम सभी के पेशेवर जीवन में ऐसा पल आता है जो हमारी पहचान बन जाता है। सोलह बरस पहले 13 जुलाई 2002 को लॉर्ड्स पर हमने वह पल जिया। इसी दिन खेल को अलविदा कहना सही लगा।
सैतीस बरस के कैफ ने 13 टेस्ट, 125 वनडे खेले थे और उन्हें लॉर्ड्स पर 2002 में नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल में 87 रन की मैच जिताने वाली पारी के लिए जाना जाता है। ग्यारह बरस की उम्र में कानपुर के ग्रीनपार्क होस्टल से अपने कॅरियर का आगाज करने वाले कैफ विश्व कप 2003 में फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। युवराज सिंह के साथ वह अंडर-19 क्रिकेट से चमके थे।
उन्होंने लिखा, '13 जुलाई 2002 सबसे अलग था। वीरू, सचिन पाजी, दादा और राहुल पैवेलियन लौट चुके थे और 326 रन असंभव लग रहे थे।’ कैफ ने आगे लिखा, 'मेरे अपने परिवार ने मैच छोड़कर मूवी लगा दी और बाकी का मैच देखा ही नहीं। मुझे और युवराज को किसी ने नहीं कहा था कि हम हारने वाले हैं और हम जीतने के लिए ही खेले।’ उन्होंने कहा, लॉर्ड्स पर वह जीत बहुत खास थी और उसका हिस्सा बनना यादगार रहा।’
उन्होंने आगे लिखा, 'क्या मुझे कोई खेद है। हां, अगर ऐसा नहीं होगा तो मतलब मैं इंसान नहीं हूं। काश मैं भारत के लिए लंबे समय तक खेल पाता। काश ऐसी व्यवस्था होती जिसमें 25 बरस के अंतर्मुखी लड़के से कोई पूछता कि वेस्टइंडीज श्रृंखला में नाबाद 148 रन बनाने के बावजूद वह फिर कोई टेस्ट क्यो नहीं खेला।’
उन्होंने लिखा, मलाल याद नहीं रहते क्योंकि भारत के लिए खेलने की यादें इतनी सुनहरी है कि जिंदगी उनके नूर से रोशन रहती है।’ उत्तर प्रदेश के लिए रणजी ट्रॉफी जीतने वाले कैफ ने आखिरी प्रथम श्रेणी मैच छत्तीसगढ के लिए खेला था।