दाएँ हाथ के बल्लेबाज, अस्थायी लेग स्पिन गेंदबाज, उत्कृष्ट स्लिप क्षेत्ररक्षक
तीनों चैपल भाईयों में सबसे बड़े ईयान चैपल क्रिकेट की दुनिया में अपने आक्रामक व तीखे व्यक्तित्व व चालाक कप्तान के रूप में जाने जाते हैं। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते हुए 1961-62 में शैफील्ड शील्ड प्रतियोगिता में शतक लगाया। 1964-65 में उन्होंने पाकिस्तान के विरुद्ध एकमात्र टेस्ट में टेस्ट पदार्पण किया, लेकिन साधारण प्रदर्शन के चलते उन्हें उसके तुरंत बाद वेस्टइंडीज श्रृंखला के लिए टीम में स्थान नहीं मिला।
कुछ वर्षों पश्चात् 1968 में अपने पहले इंग्लैंड दौरे में वह ऑस्ट्रेलिया के लिए सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। उसी वर्ष वेस्टइंडीज के विरुद्ध भी उनका प्रदर्शन भी शानदार रहा। उनके शानदार प्रदर्शन के चलते ऑस्ट्रेलिया ने 1969-70 में दक्षिण अफ्रीका की भी जमकर धुलाई की। 1970-71 में उन्हें इंग्लैंड के विरुद्ध अंतिम टेस्ट मैच में कप्तानी का भार सौपा गया, जिसे लेकर वह खुश नहीं थे। चैपल अपने प्रथम दो टेस्ट मैचों में कप्तान के रूप में हारे, लेकिन फिर भी कप्तान के रूप में उनका टेस्ट रिकॉर्ड शानदार रहा। उनके नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने 30 टेस्ट खेले, जिसमें से 15 में उन्होंने जीत दर्ज की, 10 मैच ड्रॉ रहे और 5 में उन्हें हार मिली।
ईयान चैपल एक बहुत ही जुझारू और अड़ियल बल्लेबाज थे। उनका प्रिय शॉट हुकशॉट था, जिसकी वजह से उन्हें बहुत अधिक रन व बहुत बार आउट भी होना पड़ा। तत्पश्चात् उन्होंने उसे न खेलने का फैसला किया, लेकिन डॉन ब्रेडमैन के आग्रह पर और इस सलाह के साथ कि वह उसे स्क्वेयर लेग और फाइन लेग के बीच में न खेलकर मिड विकेट और स्क्वेयर लेग के बीच में खेलें। उसमें वह बहुत ही सफल रहे।
मजबूत कद-काठी के शक्तिशाली ईयान चैपल आक्रामक ड्राइविंग, डेलिकेट कटिंग और ग्लांसिंग की वजह से बल्लेबाजी करते समय काफी आकर्षक लगते थे। उनके पुल और हुक शॉट देखने का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार रहता था। उनका टेस्ट मैच में बल्लेबाजी औसत 14 शतकों के साथ 42.42 का था।
ईयान चैपल का योगदान विशेष रूप से खिलाड़ियों के हित में ऑस्ट्रेलियन बोर्ड के साथ तीखी तकरार को लेकर रहा है। उनके नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई टीम पूरी दुनिया में मैदान पर काफी आक्रामक और गाली-गलौच करने वाली टीम के रूप में जानी-जाने लगी, लेकिन उन्होंने अपनी टीम में जबरदस्त खिलाड़ी भावना का संचार किया। 1979 में उन्हें वेस्टइंडीज के विरुद्ध हॉबर्ड में अंपायर से दुर्व्यवहार करने के जुर्म में निलंबित भी किया गया।
आज भी ईयान चैपल की साख क्रिकेट की दुनिया में एक श्रेष्ठ, बेबाक और क्रिकेट के विशेषज्ञ कॉमेंटेटर के रूप में जमी हुई है। उनकी तुलना में आधुनिक युग के सारे कप्तान मैदान पर औसत ही नजर आते हैं। क्रिकेट की दुनिया हमेशा ईयान चैपल को एक बहादुर बल्लेबाज, बेहद बोल्ड कप्तान और ऐसे इंसान के रूप में जानेगी जो अपने व्यवहार में अपनी जीभ को संयत रखने में नाकामयाब रहे, लेकिन खेल की उनकी समझ पर किसी को कोई तकरार नहीं है।