इस रिपोर्ट के बाद रतलाम पुलिस भी सकते में आ गई, उसने जांच की तो पता चला कि बीमा के 10 लाख रुपए पाने के लिए हिम्मत पाटीदार ने खुद अपने कत्ल की साजिश रची। पुलिस जांच में सामने आया कि हिम्मत पाटीदार पर 10 लाख रुपए का कर्ज था और उसने 20 लाख रुपए की बीमा पॉलिसी ले रखी थी। कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उसने खौफनाक साजिश रची और उससे रंजिश रखने वाले गांव के ही मदन मालवीय का बेरहमी के साथ कत्ल कर दिया।
मालवीय ने दो साल पहले पाटीदार के खेत में काम किया था। पॉलिसी के रुपए पाने के लिए उसने यह खौफनाक कदम उठाया। आरएसएस कार्यकर्ता ने अपने मजदूर की हत्या कर लाश की पहचान छुपाने के लिए उसका चेहरा जला दिया। डीएनए जांच में सामने आया कि लाश हिम्मत पाटीदार की नहीं, बल्कि उसी के गांव के मदन मालवीय की थी। यह वही शख्स था, जिसे पुलिस हिम्मत का कातिल मानकर उसकी तलाश कर रही थी।
पुलिस को मदन पर शक इसलिए था, क्योंकि पाटीदार की हत्या की सूचना के बाद से ही वह लापता था, लेकिन डीएनए टेस्ट से खुलासा हुआ कि मरने वाला मदन मालवीय ही था। पुलिस को लाश के पास से हिम्मत पाटीदार के कपड़े, मोबाइल और डायरी भी मिली थी।