भवानीप्रसाद मिश्र ने बहुत पहले लिखा था- 'हर एक नए क्षण के पथ पर पाँवड़े बिछाओ, उसको भेंटों, एक रूप उससे हो जाओ। उतने ताजे रहो कि जितना क्षण होता है, जीवन की गति का प्रमाण अक्षुण्ण होता है
संघ या विश्व हिन्दू परिषद अपने कट्टर हिन्दुत्व को स्वीकारने की गलतफहमी पाल सकते हैं, लेकिन मोदी नहीं मान सकते। उन्हें समझ में आ गया है कि उदार दृष्टिकोण और अल्पसंख्यकों के बीच विश्वास अर्जित करने से ही बहुसंख्यक प्रसन्ना और संतुष्ट होंगे।