हिन्दू राष्ट्र हकीकत या चुनावी शिगूफा

अनिरुद्ध जोशी

शनिवार, 18 फ़रवरी 2023 (13:28 IST)
Hindu rashtra: उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री तक सभी इन दिनों भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात कर रहे हैं। हालांकि कभी नेपाल ही एकमात्र ऐसा देश था, जो आधिकारिक रूप से हिन्दू राष्ट्र था। लेकिन, 2008 में राजशाही को समाप्त कर नेपाल को भी धर्मनिरपेक्ष देश बना दिया गया। एक अनुमान के मुताबिक विश्व के करीब 52 से अधिक देशों में हिंदू रहते हैं, जिसमें भारत, नेपाल, फिजी, सूरीनाम और मॉरीशस में हिन्दू बहुसंख्यक हैं। भारत 1976 में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना, इससे पहले संविधान में पंथ निरपेक्ष शब्द का उल्लेख था। 
 
दूसरी ओर, विश्व में 50 से ज्यादा इस्लामिक राष्ट्र हैं। इनमें से बहुत से देश ऐसे भी हैं जो विशुद्ध रूप से इस्लामी कानून से ही संचालित होते हैं, जबकि कई देश ऐसे हैं जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था तो है, मगर वे इस्लामिक राष्ट्र हैं। ऐसे देशों में गैर मुस्लिमों को तुलनात्मक रूप से कम अधिकार हैं। जबकि, भारत में जाति और धर्म के आधार पर किसी से भी भेदभाव नहीं किया जाता है। भारत में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तो यहां तक कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्‍यकों का है। वहीं, विश्व में करीब 90 देश ऐसे हैं जो ईसाई बहुल हैं।
 
कहां से उपजी हिन्दू राष्ट्र की धारणा :
प्राचीन काल में हिन्दू राष्ट्र :
 
मध्यकाल में में हिन्दू राष्ट्र :
इस्लामिक आक्रमणों के दौर और यहां पर अधिकतर क्षेत्रों पर मुस्लिमों की सत्ता कायम होने के बाद युद्ध का एक नया दौर चला जिसमें भारत को पुन: एक हिन्दू राष्ट्र बनाए जाने का संघर्ष चला और इस संघर्ष में तीन सबसे बड़े नाम उभरकर आए पहला कृष्णदेव राय (1509 ई.-1529), दूसरा वीर महाराणा प्रताप (1540-1597), तीसरा छत्रपति शिवाजी महाराज (1630-1680)। विजयनगर साम्राज्य राजपूत साम्राज्य और मराठा साम्राज्य ने पुन: हिन्दुत्व पर आधारित शासन क्षेत्र कायम किया।
आधुनिक काल में हिन्दू राष्ट्र :
अंग्रेजों के आने के बाद संपूर्ण भरतखंड ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया और फिर 200 वर्ष की गुलामी के बाद चले आजादी के आंदोलन के बाद 1947 में भारत का धर्म के आधार पर विभाजन हो गया। पाकिस्तान बना मुस्लिम राष्ट्र और हिंदुस्तान बना एक 'गणतांत्रिक देश'। भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। उसी दिन से भारत एक लोकतांत्रिक देश के रूप में उभरकर सामने आया। लेकिन 26 साल बाद 1976 में 42वां संशोधन करके उसकी प्रस्तावना में भारत के लिए ‘समाजवादी धर्म निरपेक्ष’ शब्द जोड़ा गया। 
 
हिन्दू राष्ट्र की मांग :
जानकार लोग कहते हैं कि हिन्दू राष्ट्र बनने का अर्थ यह नहीं होगा कि मुस्लिमों या ईसाइयों के अधिकार कम हो जाएंगे या उन्हें उसी तरह ट्रीट किया जाएगा जिस तरह की इस्लामिक राष्ट्र में अल्पसंख्यकों को ट्रीट किया जाता है। नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र था लेकिन वहां पर ईसाइयों और मुस्लिमों को भी बराबरी के अधिकार थे।
 
दरअसल जो लोग हिन्दू राष्ट्र की बात करते हैं उनका मानना है कि ईसाई और मुस्लिम भी हिन्दू ही है। इसका तात्पर्य हिन्दुस्तान में रहने वाले व्यक्तियों से है। जिस तरह भारत में रहने वाला हर व्यक्ति भारतीय है, उसी तरह हिन्दुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है।

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