चर्चा में आजकल- कैटेलोनिया

गुरुवार, 2 नवंबर 2017 (11:57 IST)
बार्सिलोना। पिछले कुछ समय से स्पेन में आंतरिक अशांति के दौर में देश का सर्वाधिक सम्पन्न और बड़ा राज्य कैटलोनिया स्वतंत्रता की मांग से गूंजता रहा है। लोगों ने जनमत संग्रह की मांग की और संघीय सरकार के भारी विरोध के बावजूद स्थानीय लोगों ने इसके पक्ष में मतदान किया था। विदित हो कि इसके बाद पुलिस के अधिकार सीमित कर दिए गए और राज्य की स्वायत्तता को समाप्त कर दिया गया। इससे स्थानीय लोगों में बहुत असंतोष और नाराजगी है।   
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कैटेलोनिया स्पेन के सबसे संपन्न इलाकों में से एक है। इसका एक हजार साल पुराना अलग इतिहास रहा है। स्पेन में गृह युद्ध से पहले इस इलाक़े को स्वायत्तता मिली हुई थी। बताया जाता है कि 1939 से 75 के बीच जनरल फ्रांसिस्को फ्रैंको के नेतृत्व में कैटेलोनिया को जो स्वायत्तता मिली थी, उसे खत्म कर दिया गया था। लेकिन फ्रैंको की मौत के बाद कैटेलन राष्ट्रवाद को फिर से हवा मिली और आख़िर में उत्तरी-पूर्वी इलाक़ों को फिर से स्वायत्तता देनी पड़ी। ऐसा 1978 के संविधान के तहत किया गया। 

वर्ष 2006 के एक अधिनियम के तहत कैटेलोनिया को और ताकत दी गई। कैटेलोनिया का वित्तीय दबदबा बढ़ा और उसे एक राष्ट्र के रूप में देखा जाने लगा। लेकिन यह भी बहुत दिनों तक नहीं रहा क्योंकि स्पेन की संवैधानिक कोर्ट ने 2010 में सारी ताकत वापस ले ली। इसके बाद से स्थानीय लोग और प्रशासन नाराज हो गया। 
 
स्पेन में आर्थिक मंदी और सार्वजनिक खर्चों में कटौती के बाद से स्वायत्तता को लेकर लोगों की नाराजगी और बढ़ी। उल्लेखनीय है कि कैटेलन्स ने नवंबर 2014 में आजादी के लिए एक अनाधिकारिक तौर पर मतदान का आयोजन किया था। 54 लाख योग्य मतदाताओं में से 20 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया। कहा गया कि 80 फीसदी लोगों से स्पेन से आजाद होने के पक्ष में मतदान किया था। 
 
उल्लेखनीय है कि कैटेलोनिया में 2015 के चुनाव में अलगाववादियों को जीत मिली थी। इन्होंने चुनाव के दौरान ही जनमत संग्रह कराने का वादा किया था। कैटेलन संसद ने 6 सितंबर को मतदान के जरिए कानून बनाया था। बैलट पेपर पर बस एक सवाल था : क्या आप एक गणतंत्र के रूप में कैटेलोनिया को आजाद मुल्क बनाना चाहते हैं? 
 
इस सवाल का जवाब देने के लिए दो बॉक्स बने। हां और ना दो विकल्प थे। स्पेन के दूसरे सबसे बड़े राज्य कैटेलोनिया में हिंसा के बीच हुए जनमत संग्रह में 90 प्रतिशत लोगों ने स्पेन से अलग होने के लिए वोट किया था। 75 लाख की आबादी वाले राज्य में लगभग 40 प्रतिशत लोगों ने जनमत संग्रह में भाग लिया। बताया गया कि लगभग 22 लाख मतों की गणना की गई, जिसमें करीब 20 लाख मत स्पेन से अलग होने के लिए डाले गए।
 
इसके बाद कैटेलोनिया की संसद ने स्पेन से आजादी और खुद के एक गणराज्य के तौर पर अस्तित्व में आने की घोषणा करते हुए इससे जुड़े प्रस्ताव को पारित कर दिया। आजादी की घोषणा वाले प्रस्ताव के पक्ष में 70 वोट आए, जबकि विपक्ष में 10 वोट पड़े। दो सदस्य मतदान से अनुपस्थित रहे। कैटेलोनिया की 135 सदस्यीय संसद में मतदान से पहले विपक्षी सांसद वॉकआउट कर गए। विपक्षी सदस्यों का कहना था कि इस घोषणा को स्पेन और विदेश से आधिकारिक मान्यता मिलने की संभावना नहीं है।
 
वैसे इस जनमत संग्रह के कुछ देर बाद ही स्पेन के प्रधानमंत्री मारिआनो रजोय ने कैटेलोनिया की संसद भंग करके वहां के राष्ट्रपति और अलगाववादी नेता कार्ल्स पुइगदेमोंत और उनके प्रशासन को बर्खास्त कर दिया। स्पेन की सरकार ने कहा कि आने वाले 21 दिसंबर को सरकार वहां चुनाव कराएगी, जिसके बाद कैटेलोनिया का भविष्य तय होने की उम्मीद है। 
 
दरअसल कैटेलोनिया काफी समय से स्पेन से ज्यादा धन और वित्तीय आजादी की मांग करता रहा है। इसके पीछे वजह यह है कि स्पेन में सबसे ज्यादा कमाई वाला हिस्सा यही है जो हर साल 12 अरब डॉलर टैक्स में देता है। देश का 25 फीसद निर्यात भी यहीं से होता है, जिसके चलते पूरे देश की जीडीपी में इसकी हैसियत 20 फीसदी की बनती है। कैटेलोनिया से स्पेन को जो कुछ मिलता है, उसका एक बड़ा हिस्सा वह 120 लाख करोड़ डॉलर के कर्ज का अपना बोझ कम करने में लगाता है। 
 
हालांकि देश की अर्थव्यवस्था में कैटेलोनिया की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी के मद्देनजर स्पेन उसके लिए लगभग सभी नीतियां अलग और बाकी राज्यों से बेहतर बनाता रहा है, जिसके चलते स्पेन के दूसरे राज्यों में रहने वाले लोग कुछ खफा भी रहते हैं। 2006 में स्पेन ने बाकायदा अधिनियम बनाकर कैटेलोनिया को ज्यादा ताकत दी, स्वायत्तता दी। लेकिन इससे कैटेलोनिया में पनपती अलगाववादी भावनाएं संतुष्ट नहीं हुईं। उनका मानना है कि कैटेलोनिया के दिए धन का इस्तेमाल स्पेन अपने अन्य गरीब क्षेत्रों को उबारने में कर रहा है।
 
यूरोप की सबसे मीठी भाषा बोलने वाला स्पेन 1977 के तानाशाही संकट के बाद से अब तक की सबसे भीषण चुनौतियों से गुजर रहा है, तो कैटेलोनिया के अलगाववादियों की भी राहें आसान नहीं हैं। अव्वल तो स्पेन की मर्जी के बगैर कैटेलोनिया उससे अलग हो ही नहीं सकता। अगर अलगाववादी नेतृत्व ने ऐसा कुछ सोचा भी तो तमाम व्यवहारिक अड़चनें इसे संभव नहीं होने देंगी। स्पेन के बगैर उसे यूरोपीय संघ से भी मान्यता मिलना मुश्किल है। कुल मिलाकर दोनों पक्षों की जरूरत है कि वे आज की दुनिया की हकीकत को समझते हुए थोड़ा लचीला रुख अपनाएं और बीच की कोई ऐसी राह निकालें, जिससे स्पेन का हिस्सा बने रहते हुए भी कैटेलोनिया को आजादी का अहसास हो।

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