Sathya Sai Baba in Hindi : 24 अप्रैल को आध्यात्मिक गुरु सत्यनारायण राजू यानी सत्य साईं बाबा की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन उन्होंने अपनी देह त्याग दी थी। अत: आज उनका महाप्रयाण दिवस मनाया जाता है। सत्य साईं बाबा का जन्म 23 नवंबर 1926 को आंध्रप्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में पेदू वेंकप्पाराजू एवं ईश्वराम्मा के घर आठवीं संतान के रूप में हुआ था।
बचपन में उनका नाम 'सत्यनारायण राजू' था, क्योंकि भगवान सत्यनारायण की पूजा का प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात उनका जन्म हुआ था इसीलिए उनका नाम 'सत्यनारायण' रखा गया। जिस क्षण नवजात शिशु के रूप में सत्य साईं ने जन्म लिया था, उस समय घर में रखे वाद्य यंत्र स्वत: ही बजने लगे और एक रहस्यमय सर्प बिस्तर के नीचे से फन निकाल कर छाया करता पाया गया।
सत्य साईं बाबा बचपन से ही प्रतिभा संपन्न थे। उन्होंने मात्र 8 वर्ष की अल्प आयु से ही सुंदर भजनों की रचना शुरू की थी। मात्र 23 मई 1940 को 14 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने अवतार होने का उद्घोष किया तथा जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया था।
कहा जाता है कि जब वे हाईस्कूल में पढ़ रहे थे तो उन्हें एक विषैले बिच्छू ने काट लिया और वे कोमा में चले गए। जब वे कोमा से उठे तो उनका व्यवहार विचित्र-सा हो गया था। उन्होंने खाना-पीना सब बंद कर दिया और सिर्फ पुराने श्लोक एवं मंत्रों का उच्चारण करते रहते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वे भक्तों की विपत्ति के समय उनकी पुकार तत्परता से सुनते थे।
उनके संबंध में ऐसा भी माना जाता है कि शिर्डी में सांई बाबा, आंध्रप्रदेश के सत्य साईं बाबा के बाद कर्नाटक में प्रेम सांई बाबा का प्रादुर्भाव होगा, जो अपने भक्तों पर अपनी कृपा हमेशा बरसाते रहेंगे। वे कहते थे कि, 'कोई भी धर्म बेहतर या कोई भी धर्म खराब नहीं रहता अत: हमें सभी धर्मों का एक समान सम्मान करना चाहिए। ईश्वर केवल एक ही है, उसके नाम अलग-अलग हो सकते हैं।' सत्य साईं ने हमेशा अपने भक्तों की मदद की एवं उन्हें अच्छे आदर्श मानने की, अच्छा आचरण करने और मन में अच्छा सेवाभाव बनाए रखने का उपदेश दिया।
उन्होंने कहा था- 'मैं शिव-शक्ति स्वरूप, शिर्डी के साईं का अवतार हूं। उनके 25वें जन्मदिन पर 1950 में उन्हीं के द्वारा पुट्टपर्थी में 'प्रशांति निलयम आश्रम की स्थापना की गई। प्रशांति निलयम में बाबा का विश्वस्तरीय अस्पताल और रिसर्च सेंटर भी है। पुट्टपर्ती में स्थित इस अस्पताल में निःशुल्क सर्जिकल और मेडिकल केयर की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंस बेंगलुरू में सैकड़ों बिस्तर गरीबों के लिए बनाए गए हैं। वे कहते थे हमें जरूरतमंद व्यक्तियों एवं रोगियों की सेवा बिना किसी लालच के साथ करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में सत्य, प्रेम, शांति, अच्छी सोच एवं अहिंसा आदि नैतिक मूल्यों का हमेशा पालन करना चाहिए।
सत्य साईं बाबा सभी धर्म के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थे। उन्हें विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक प्रमुख भी कहा जा सकता है, क्योंकि सत्य साईं केंद्र 178 देशों में बनाए गए हैं। उन्होंने दुनिया को यही संदेश दिया कि सभी से प्रेम करो, सबकी सहायता करो और किसी का भी बुरा मत करो। सत्य साईं बाबा का मानना था कि हर व्यक्ति का कर्तव्य यह सुनिश्चित कराना है कि सभी लोगों को आजीविका के लिए मूल रूप से जरूरी चीजों तक पहुंच मिले।
सत्य साईं बाबा ने 85 वर्ष की आयु में 24 अप्रैल 2011 को अपनी देह त्याग दी थी। वैसे तो उन्हें शिर्डी के सांई बाबा का अवतार माना जाता है। माना जाता है कि आज भी सच्चे मन से उन्हें याद करने पर उनकी तस्वीर से अपने आप ही भभूत निकलती है। सत्य साईं बाबा ने अपने जीवन काल में बहुत-सी शिक्षण संस्थाओं, अस्पतालों व अन्य मानव सेवा के कार्यों के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे एक आध्यात्मिक गुरु व प्रेरक व्यक्तित्व थे, जिनके संदेश और आशीर्वाद ने पूरी दुनिया के लाखों लोगों को सही नैतिक मूल्यों के साथ उपयोगी जिंदगी जीने की प्रेरणा दी।
आज उनके महाप्रयाण दिवस पर उन्हें शत् शत् नमन।
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