रानी दुर्गावती बलिदान दिवस पर पढ़ें 10 रोचक तथ्य

WD Feature Desk

मंगलवार, 24 जून 2025 (14:47 IST)
Rani Durgavati First Woman Warrior against Mughals : आज, 24 जून को रानी दुर्गावती बलिदान दिवस है। यह दिवस भारत के इतिहास में वीरता, त्याग और स्वाभिमान का प्रतीक दिन है। रानी दुर्गावती गोंडवाना राज्य की वीरांगना थीं, जिन्होंने मुगल आक्रांताओं के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति दे दी, परन्तु आत्मसमर्पण नहीं किया। आइए यहां जानते हैं रानी दुर्गावती के बारे में 10 रोचक बातें...
 
बलिदान या पुण्यतिथि दिवस 
- तारीख: 24 जून : यह दिन रानी दुर्गावती के बलिदान (24 जून 1564) की स्मृति में मनाया जाता है।
 
रानी दुर्गावती के बारे में 10 तथ्य
1. गोंडवाना साम्राज्य की रानी,  रानी दुर्गावती
- रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कलिंजर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
- वे चंदेल राजवंश की राजकुमारी थीं।
 
2. महान योद्धा राजा दलपत शाह की पत्नी
- रानी दुर्गावती का विवाह गोंड राजा दलपत शाह से हुआ था।
- राजा के निधन के बाद उन्होंने अपने नाबालिग पुत्र वीरनारायण के नाम पर शासन संभाला।
 
3. साहसिक शासन और कुशल नेतृत्व
- रानी ने 1548 से 1564 तक गोंडवाना पर शासन किया।
- शासनकाल में उन्होंने कृषि, सिंचाई, न्याय और सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार किए।
 
4. विदेशी आक्रमण का डटकर सामना
- 1564 में मुगल सेनापति आसफ खां ने गोंडवाना पर हमला किया।
- रानी ने 70 हजार सैनिकों के मुकाबले 5000 सैनिकों के साथ युद्ध लड़ा।
 
5. घोड़े पर सवार होकर युद्ध किया
- रानी दुर्गावती ने स्वयं घोड़े पर सवार होकर तलवार और धनुष के साथ युद्ध लड़ा।
- उनका प्रिय घोड़ा सरकार नाम से प्रसिद्ध था।
 
6. रणभूमि में वीरगति
- युद्ध में जब वे घायल हुईं और पकड़े जाने का भय हुआ, तब उन्होंने खंजर से स्वयं को बलिदान दे दिया।
- यह बलिदान 24 जून 1564 को हुआ।
 
7. 'बलिदान' नहीं 'आत्मसमर्पण'
- उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि स्वाभिमान के लिए मृत्यु भी स्वीकार्य है, पर गुलामी नहीं।
 
8. मध्य प्रदेश में स्मृति
- मध्यप्रदेश में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (जबलपुर) और कई स्मारक उनकी स्मृति में हैं।
 
9. डाक टिकट और स्मारक
- उनके सम्मान में भारत सरकार ने 1983 में डाक टिकट जारी किया और कई जगहों पर उनकी मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
 
10. प्रेरणा स्रोत
- रानी दुर्गावती भारत की पहली महिला शासकों में से एक मानी जाती हैं, जिन्होंने मुगलों के विरुद्ध प्रतिरोध किया और नारी शक्ति की मिसाल पेश की।
 
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