प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करीबी माने जाने वाली स्मृति को राज्यसभा मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण प्रभार सौंपा गया। दिल्ली चुनावों को लेकर स्मृति ईरानी भले ही सक्रियता नहीं दिखा रही हों, लेकिन माना जा रहा है कि यदि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को बहुमत मिलता है तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद स्मृति के साथ विवाद भी जुड़े। इनमें उनकी डिग्री और संस्कृत भाषा को अनिवार्य किया जाना शामिल हैं। इन विवादों से वे विपक्ष के निशाने पर भी रही हैं। 2003 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं और 2004 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली के चांदनी चौक से भाजपा प्रत्याशी के रूप में प्रसिद्ध कांग्रेस राजनेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा।
इस लोकसभा चुनाव में ईरानी को हार का सामना करना पड़ा। कुछ समय बाद ईरानी को भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र युवा इकाई का उपाध्यक्ष बनाया गया। 2011 में स्मृति गुजरात राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुईं। सितंबर 2011 से वे राज्य की कोयला और स्टील समिति की सदस्य हैं।
राजनीति के अतिरिक्त स्मृति एक सामाजिक संस्था का संचालन करती हैं, जिसका उद्देश्य दूरस्थ क्षेत्रों के निर्धन लोगों को पीने का पानी मुहैया कराना है। 2015 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ खड़ी हुईं, जहां उन्हें करीब एक लाख मतों से पराजित होना पड़ा।