नई दिल्ली। दिल्ली में पिछले 15 वर्षों से मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने कई चुनावों में शानदार जीत दर्ज की, लेकिन यह चुनाव उनके लिए राजनीतिक करियर का सबसे बड़ा झटका साबित हुआ। उनकी सिर्फ सत्ता ही नहीं गई, बल्कि उन्हें अपनी सीट पर पहली बार चुनावी मैदान में उतरे अरविंद केजरीवाल से करारी हार झेलनी पड़ी।
लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली का चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ा इम्तहान माना जा रहा था, लेकिन नतीजों ने उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पहली बार चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी (आप) ने यहां का राजनीतिक परिदृश्य बदलकर रख दिया।
नई दिल्ली सीट से शीला को आप के नेता केजरीवाल के हाथों में करारी हार का मुंह देखना पड़ा। दिल्ली में सोनिया और राहुल गांधी की चंद सभाओं को छोड़ दें तो कांग्रेस की पूरी जिम्मेदारी शीला के कंधों पर थी।
पिछले 15 वर्षों के शासन में शीला ने बिजली क्षेत्र में सुधार को लेकर कदम उठाए और ई-प्रशासन की प्रणाली पर जोर दिया। उनके शासनकाल के दौरान बुनियादी ढांचे को सुधारने और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर जोर दिया गया। साल 2010 में दिल्ली में उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया गया था। (भाषा)