भावातीत ध्यान क्या है?

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कहा जाता है कि महिलाएं परिवार की धुरी होती हैं। अपना सुख-चैन गंवा कर महिलाएं घर और बाहर की बागडोर बखूबी संभालती हैं। कामकाजी महिलाएं हों या घरेलू- सभी को आए दिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ये भी कुछ पल सुकून के चाहती हैं जहां इन्हें मानसिक शांति मिले और ये शांति उन्हें से मिल सकती है।

आइए, सबसे पहले जानें भावातीत ध्यान होता क्या है- ध्यान का मुख्य उद्देश्य मन की उड़ानों को केंद्रीभूत कर एकाग्रता के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना है। यह एकाग्रता भौतिक क्षेत्र में महिलाओं को सुखी, शांत व समृद्धशाली बनाने के साथ उनकी प्रगति के मार्गों को खोलती है तो वहीं दूसरी ओर, आत्मिक क्षेत्र में सिद्धि के साधन उपलब्ध कराने में अपनी अहम भूमिका भी निभाती है।

इस अहम भूमिका की दिशा में प्रागैतिहासिक काल से लेकर आज तक कई ऋषि-मुनियों ने कई उपाय और विधान किए हैं। योग शास्त्रों में राजयोग, हठयोग, बिंदुयोग, मंत्रयोग के साथ दार्शनिक योगों में ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग निर्धारित हैं। इसमें सबसे प्रमुख और आसान साधन ध्यान है।

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भावातीत ध्यान के प्रवर्तक महर्षि महेश योगी जी ने ध्यान धारणा की सरल पद्धति को वैदिक आधार की पृष्ठभूमि पर बड़े ही सहज रूप में प्रस्तुत किया है।

ध्यान का अभ्यास दैनिक जीवन में बिना किसी कठिनाई से किया जा सकता है। महिलाओं का मानसिक तनाव दूर करने में यह अहम भूमिका निभाता चला आ रहा है।

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