श्रीयंत्र पूजन का महत्व

श्रीयंत्र साधना विश्व को भारतीय अध्यात्म विज्ञान की सर्वश्रेष्ठ देन है।
श्रीयंत्र पूजन से श्री, समृद्धि, यश की उत्तरोत्तर वृद्धि होती है।

जैसा कि इस चक्र में वर्णित नव-आवरण के पूजन में दिए गए मंत्र से स्वयं स्पष्ट है :-

त्रैलोक्यमोहन चक्र अर्थात्‌ तीनों लोको को मोहित करने की उद्देश्य पूर्ति हेतु।
सर्वाशापरिपूरक चक्र अर्थात्‌ समस्त आशाओं की पूर्ति के उद्देश्य से।
सर्वसंक्षोभण चक्र अर्थात्‌ समस्त जगत को संक्षोभित करने के उद्देश्य की पूर्ति हेतु।
सर्वसौभाग्यदायक चक्र अर्थात्‌ समस्त सौभाग्य प्राप्ति के उद्देश्य की पूर्ति हेतु।
सर्वार्थसिद्धिप्रद चक्र अर्थात्‌ समस्त प्रकार के अर्थ की प्राप्ति के उद्देश्य की पूर्ति हेतु।
सर्वरक्षाकर चक्र अर्थात्‌ संपूर्ण रक्षा प्राप्ति के उद्देश्य की पूर्ति हेतु।
सर्वरोगहर चक्र अर्थात्‌ समस्त रोगों के निवारण के उद्देश्य की पूर्ति हेतु।
सर्वसिद्धिप्रद चक्र अर्थात्‌ समस्त सिद्धियों की प्राप्ति के उद्देश्य की पूर्ति हेतु।
सर्वआनंदमय चक्र अर्थात्‌ परम-आनंद की प्राप्ति के उद्देश्य की पूर्ति हेतु।

इस प्रकार श्रीयंत्र की साधना कर शक्ति संधान कर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में क्या प्राप्त नहीं किया जा सकता है?

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