1. ईशान कोण में बनी बेदी पर लाल रंग के वस्त्र को बिछाकर लक्ष्मीजी की सुंदर प्रतिमा रखकर विराजित करें।
2. चावल व गेहूं की 9-9 ढेरी बनाकर, नवग्रहों का सामान बिछाकर व शुद्ध घी का दीप प्रज्वलित कर 1 या 5 खुशबूदार अगरबत्ती जलाकर, सुगंधित इत्रादि से चर्चित कर, गंध-पुष्पादि नैवेद्य चढ़ाकर इस मंत्र को बोलें-
3. इस मंत्र के पश्चात इस मंत्र का जाप करें-
।। ॐ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु शशि भूमिसुतो बुधास्च गुरुस्च शुक्रः शनि राहू केतवे सर्वे ग्रह शांति करा भवन्तु ।।
5. महानिशिथ काल में लक्ष्मीजी का मंत्र जाप करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं। इस बार महानिशिथ काल नहीं है, क्योंकि अमावस्या 23.09 तक ही है। 22.48.18 से निशिथ काल शुरू होकर 23.36.18 तक रहेगा। 23.09.00 तक अमावस्या रहने से मंत्र का जप भी इसी समय तक करें।