दिवाली पर अक्सर उल्लू जैसे पक्षियों की शामत आ जाती है और कई तरह की तांत्रिक वस्तुएं, आंकड़े के पौधे की जड़, जड़ी-बूटियां बाजार में मिलने लगती हैं। बेचारा कछुआ भी आफत में रहता है। टोने-टोटके के चक्कर में लोग ढूंढते हैं सुअर का दांत, हाथी का दांत, घोड़े की नाल, कबूतर या शेर के नाखून, सांप की केंचुली या फिर काली बिल्ली और उल्लुओं की आंख। यह सभी अंधविश्वास है।
दिवाली के दिन अमावस्या की अंधेरी रात होती है। इस दिन बहुत से लोग तांत्रिक साधना करते हैं। कई कारणों से लोग तांत्रिक साधना करते हैं। पहला तो यह कि वे अपने जीवन में जल्दी से जल्दी सफल होना चाहते हैं और दूसरा यह कि यदि जीवन में कोई संकट है तो उसे समाप्त करना चाहते हैं। ऐसे लोगों में भगवान के प्रति भक्ति नहीं होती है। वे तो बस अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं।
उन्हें उनके स्वार्थ की सिद्धि के एवज में बाद में बहुत कुछ चुकाना भी होता है। ऐसी कई साधनाएं हैं जो कि अवैदिक मानी गई है जिनमें से एक है ऐसी तंत्र साधना जिसे अघोर या भयावह कहते हैं। तंत्र साधना वाममार्गी साधना है। वाममार्गी तंत्र साधना में 6 प्रकार के कर्म बताए गए हैं जिन्हें षट्कर्म कहते हैं।
अर्थात शांति कर्म, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चाटन, मारण ये छ: तांत्रिक षट्कर्म।
इसके अलावा नौ प्रयोगों का वर्णन मिलता है:- मारण मोहनं स्तम्भनं विद्वेषोच्चाटनं वशम्। आकर्षण यक्षिणी चारसासनं कर त्रिया तथा॥
अर्थात मारण, मोहनं, स्तम्भनं, विद्वेषण, उच्चाटन, वशीकरण, आकर्षण, यक्षिणी साधना, रसायन क्रिया तंत्र के ये 9 प्रयोग हैं।
कहते हैं कि अधिकतर तांत्रिक साधना का संबंध देवी काली, अष्ट भैरवी, दस महाविद्या, 64 योगिनी, बटुक भैरव, काल भैरव, नाग महाराज आदि से संबंध रहता है लेकिन उक्त की साधना को छोड़कर जो लोग यक्षिणी, पिशाचिनी, अप्सरा, वीर साधना, गंधर्व साधना, किन्नर साधना, नायक-नायिका साधान, डाकिनी-शाकिनी, विद्याधर, सिद्ध, दैत्य, दानव, राक्षस, गुह्मक, भूत, वेताल, अघोर आदि की साधनाएं करते हैं वे घोर कर्म करते हैं जो कि धर्म विरुद्ध माने गए हैं।
उपरोक्त नामों में से कहीं भी देवी लक्ष्मी का नाम उल्लेखित नहीं है। दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ लोग उनके तांत्रिक मंत्र का भी जाप करते हैं। हर देवी-देवता का एक साधारण या वैदिक मंत्र, दूसरा तांत्रिक मंत्र और तीसरा साबर मंत्र होता है। इसमें तांत्रिक मंत्र का जाप करने से पहले किसी योग्य जानकार से पूछ लें तो अच्छा है।
दिवाली पर अक्सर लोग लक्ष्मी स्वरूपा मां तारा की पूजा भी करते हैं और उनके मंत्र का जाप कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। दूसरा, कुछ लोग हरिद्रा तंत्र साधना, नैवेद्य तंत्र साधान, अश्व-जिह्वा तंत्र साधना और अडार तंत्र साधान भी करते हैं, लेकिन साधारण व गृहस्थ व्यक्ति को लक्ष्मी पूजा हेतु वैदिक मंत्र और पूजा का ही सहारा लेकर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहिए यही उचित है। सबसे बड़ी बात यह कि यदि आपमें भक्ति की जगह स्वार्थ है तो फिर आप उचित राह पर नहीं हैं।
टोटकों के चक्कर में जहां एक ओर प्रकृति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, वहीं पशु और पक्षियों का जीवन भी में संकट में हो चला है। इसके अलावा समाज में इस तरह के अंधविश्वास के चलते ईश्वर पर विश्वास कम टोटको और तांत्रिकों पर विश्वास ज्यादा किया जाने लगा है। कबिलाई संस्कृति तो खत्म हो गई है किंतु आज भी उसके लक्षण देखें जा सकते हैं। जो कि धर्म के मर्मज्ञों अनुसार जाहिलाना कृत्य हैं।
अक्सर या देखा गया है कि बाजार में मिलने वाले तंत्र-गंथों में जो साधना-विधियां लिखी गई है वे बड़ी अधूरी हैं। उनमें दो ही बाते मिलती हैं- एक साधन का फल, दूसरे साधन-विधि का कोई छोटा-सा अंग। यह विधि कितनी सही या गलत है यह कोई नहीं जानता। किताबी ज्ञान आपको इशारे से मार्ग बता सकता है लेकिन वह मार्ग सही है या नहीं यह तो वही बता सकता है जो उस मार्ग पर चलकर गया है और जिसने उस मार्ग के सभी तरह के दुख और सुख झेले हैं। हालांकि ऐसी कई किताबों में दावा किया जाता है कि यह लेखक का सच्चा अनुभव है लेकिन क्या आपने लेखक को देखा और परखा?