Dev diwali in varanasi 2024: देव दिवाली का पर्व वाराणसी में मनाए जाने की दिनांक से तय होता है। इसलिए सभी जानना चाहते हैं कि वाराणसी में कब मनाएंगे देव दिवाली क्योंकि सभी देवी एवं देवताओं ने यहीं पर गंगा तट पर एकत्रित होकर देव दिवाली का उत्सव मनाया था। भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध करके देवी एवं देवताओं को उसके आतंक से मुक्त करके स्वर्ग का राज्य पुन: उन्हें दिलाया था। इसी की याद में सभी देवता कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा तट पर एकत्रित होकर दीपोत्सव मनाते हैं। इसीलिए इस दिन को देव दिवाली कहते हैं।ALSO READ: Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर कब, कहां और कितने दीपक जलाएं?
वाराणसी में देव दिवाली कब मनाएंगे :वाराणसी में देव दिवाली 15 नवंबर 2024 शुक्रवार को मनाई जाएगी, जो भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय का प्रतीक है। यह त्योहार वाराणसी में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ भक्त दीये जलाते हैं और अनुष्ठान करते हैं, जिससे आध्यात्मिक रूप से भरा माहौल बनता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। यह आध्यात्मिक महत्व और दिव्य विजय का दिन है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र दिन पर, सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतरे थे, और भगवान शिव की जीत का सम्मान करने के लिए पवित्र शहर वाराणसी में एकत्रित हुए थे। यह त्यौहार उस समय को दर्शाता है जब दैवीय ऊर्जा अपने चरम पर होती है, जो इसे हिंदू कैलेंडर में सबसे अधिक पूजनीय अवसरों में से एक बनाता है।
गंगा नदी में दीपदान का महत्व: वाराणसी में अपने घरों, गलियों और मंदिरों को रोशनी एवं दीपकों से सजाते हैं। यह एक शानदार नजारा पेश करता है, जिसमें गंगा घाट दीपोत्सव का केंद्र बन जाते हैं। यहां पर हजारों भक्त नदी में दीपदान (दीप अर्पण) करते हैं, जिससे एक अलौकिक और आध्यात्मिक रूप से भरा माहौल बनता है।
वाराणसी शहर में इस भव्य दीपोत्सव में भाग लेने के लिए अभी से ही तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहा है जो प्रसिद्ध दीपदान समारोह सहित उत्सवों में भाग लेंगे। भक्त हजारों दीये जलाएंगे और उन्हें नदी में प्रवाहित करेंगे, जिससे पानी पर रोशनी की झलक का एक मनमोहक दृश्य बनेगा। ALSO READ: Dev Diwali 2024: देव दिवाली कब है, जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि
देव दिवाली पर वाराणसी में दीपदान करने का समय:
15 नवंबर को शाम 5:10 बजे से 7:47 बजे तक प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त, प्रार्थना और अनुष्ठान करने के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो व्रत रखते हैं और दीपदान में भाग लेते हैं।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 15 नवम्बर 2024 को प्रात: 06:19 बजे से।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 16 नवम्बर 2024 को तड़के 02:58 बजे तक।
देव दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:58 से 05:51 के बीच।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 05:24 से 06:44 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:27 के बीच।
विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 से 02:36 के बीच।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:27 से 05:54 के बीच।
सायाह्न सन्ध्या: शाम 05:27 से 06:47 के बीच।
अमृत काल: 05:38 पी एम से 07:04 पी एम
देव दिवाली पूजा गोधूली या अमृत काल में कर सकते हैं।